भोपाल, अक्टूबर 2013/ मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड को आज बिजली उत्पादन के क्षेत्र में दो सफलताएँ मिलीं। प्रदेश के इतिहास में लगातार दो दिन में अलग-अलग बिजली परियोजनाओं की दो इकाइयाँ सिंक्रोनाइज की गईं। श्रीसिंगाजी ताप विद्युत परियोजना की 600 मेगावाट क्षमता की इकाई क्रमांक-एक जहाँ कोयले से सिंक्रोनाइज हुई, वहीं सतपुड़ा ताप विद्युत विस्तार परियोजना सारनी की 250 मेगावाट क्षमता की इकाई क्रमांक-11 आइल से सिंक्रोनाइज की गई। बिजली उत्पादन के क्षेत्र में मिली इस सफलता के लिए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, ऊर्जा मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल, प्रमुख सचिव ऊर्जा श्री मोहम्मद सुलेमान, मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के प्रबंध संचालक श्री विजेन्द्र नानावटी और कंपनी के निदेशक कॉमर्शियल श्री ए. पी. भैरवे ने सभी अभियंताओं एवं कर्मियों को बधाई दी है।
श्रीसिंगाजी परियोजना- मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड की निर्माणाधीन बिजली परियोजनाओं में श्रीसिंगाजी ताप विद्युत परियोजना की 600 मेगावाट क्षमता की इकाई क्रमांक-एक 30 सितंबर को रात्रि 10.10 बजे कोयले से सिंक्रोनाइज की गई। यह इकाई लगभग चार घंटे चलाई गई। इसे 200 मेगावाट लोड तक चलाया गया। इस इकाई को इस वर्ष 31 अगस्त को सिंक्रोनाइज किया गया था। अब इस इकाई को 600 मेगावाट तक चलाने के लिये प्रयास किए जा रहे हैं।
श्रीसिंगाजी ताप विद्युत परियोजना खंडवा जिले के ग्राम डोंगालिया में स्थापित हो रही है। परियोजना में 600-600 मेगावाट क्षमता की दो इकाइयाँ स्थापित होंगी। परियोजना की कुल लागत 6750 करोड़ रूपए है। इसमें पावर फायनेंस कार्पोरेशन (पीएफसी) द्वारा 5160 करोड़ की वित्तीय सहायता दी गई है। मध्यप्रदेश शासन द्वारा परियोजना की स्थापना के लिए 1350 करोड़ की इक्विटी दी गई है। परियोजना को भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) और एलएंडटी के सहयोग से पूर्ण किया गया है।
सतपुड़ा ताप विद्युत परियोजना- पावर जनरेटिंग कंपनी की सतपुड़ा ताप विद्युत विस्तार परियोजना सारनी की 250 मेगावाट स्थापित क्षमता की इकाई क्रमांक-11 को आज 2 अक्टूबर को तड़के 4.38 बजे पहली बार सिंक्रोनाइज किया गया। इसी परियोजना की 250 मेगावाट क्षमता की इकाई क्रमांक-10 इस वर्ष 18 अगस्त से व्यावसायिक बिजली उत्पादन कर रही है। इन दोनों परियोजनाओं के पूर्ण होने पर बिजली की मांग एवं आपूर्ति के अंतर को कम करने में मदद मिलेगी।
परियोजना की इकाई क्रमांक 10 व 11 की कुल लागत 3265 करोड़ है। परियोजना के लिए पीएफसी द्वारा 2300.2 करोड़ की वित्तीय सहायता दी गई है। राज्य शासन द्वारा इस परियोजना की स्थापना के लिए 653 करोड़ की इक्विटी दी गई है। परियोजना को भेल और मेकनेली भारत इंजीनियरिंग (एमबीइएल) कोलकाता के सहयोग से पूर्ण किया गया है।