नई दिल्ली, नवंबर 2012/ मध्यप्रदेश के दो शिल्पियों को आज हस्तशिल्प और हाथकरघा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए राष्ट्रीय और शिल्प गुरु अवार्ड से सम्मानित किया गया। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हस्तशिल्प और हाथकरघा क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्यों के लिए देश के शिल्पकारों और कलाकारों को सम्मानित किया।
मध्यप्रदेश से श्री इस्माइल सुलेमानजी खत्री को शिल्प गुरु अवार्ड वर्ष 2010 और श्री हरीश कुमार सोनी को राष्ट्रीय अवार्ड वर्ष 2009 से सम्मानित किया गया। कलाकारों और शिल्पकारों को सम्मानित करते हुए राष्ट्रपति ने हस्तशिल्प और हथकरघा की कला को जीवित रखने और वर्षों पुरानी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए कलाकारों को धन्यवाद दिया और आशा व्यक्त की कि आने वाली पीढ़ी भी इस कला को जीवित रखेगी। इस अवसर पर केन्द्रीय वाणिज्य एवं कपड़ा मंत्री श्री आनन्द शर्मा भी इस अवसर पर मौजूद थे।
श्री इस्माइल सुलेमानजी खत्री को शिल्प गुरु अवार्ड
मध्यप्रदेश हस्तशिल्प कला में ठप्पा छपाई के जनक तथा बाघ प्रिंट कला को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले बाघ प्रिन्टर्स श्री इस्माइल सुलेमानजी खत्री पुरस्कार पाने वाले मध्यप्रदेश के पहले शिल्पी होंगे। श्री खत्री को गोल्ड मेडल के साथ ही 6 लाख रुपये का पुरस्कार भी दिया गया।
76 वर्षीय श्री इस्माइल खत्री को देश-विदेश में बाघ प्रिन्ट को स्थापित करने का श्रेय जाता है। आज भारत ही नहीं विश्व के कई देशों में बाघ प्रिन्ट को श्री खत्री के नाम से जाना जाता है। उनके शिष्यों द्वारा कला को आगे बढ़ाने से भारत सरकार तथा प्रदेश सरकार को समय-समय पर गौरव प्राप्त हुआ है। श्री इस्माइल सुलेमानजी खत्री ने देश-प्रदेश में आयोजित कई सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनियों में भाग लिया। इसके साथ ही विदेश में हालैण्ड और स्पेन फेयर (यूरोप) तथा मंगोलिया फेयर में उन्होंने शिरकत की है।
श्री हरीश कुमार सोनी को नेशनल अवार्ड
टीकमगढ़ के राज मोहल्ला के बेल मेटल शिल्पी श्री हरीश कुमार सोनी को उल्लेखनीय कार्य के लिये नेशनल अवार्ड से राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा सम्मानित किया गया। श्री सोनी को वर्ष 1999 तथा 2009-10 में नेशनल मेरिट प्रमाण-पत्र एवं राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। शिल्पी श्री सोनी अपने पिता श्री सुखई सोनी से कार्य का प्रशिक्षण लेकर पिछले 30 वर्ष से पीतल की मूर्तियाँ बना रहे हैं। नेशनल अवार्ड की एन्ट्री के लिये श्री सोनी ने गजरथ की आकृति का निर्माण किया था। उन्हें इसे बनाने में करीब साढ़े तीन माह का समय लगा था।