भोपाल, मई 2015/ सूचना प्रौद्योगिकी के जरिये मध्यप्रदेश के ग्रामोद्योग को अंतर्राष्ट्रीय बाजार दिलवाया जायेगा। प्रदेश के 23 हजार 169 हाथकरघा बुनकर की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के प्रयास होंगे। कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग रजिस्टर्ड 50 हजार बुनकर की सम्पूर्ण जानकारी इकट्ठी करेगा। यह जानकारी प्रमुख सचिव कुटीर एवं ग्रामोद्योग प्रवीर कृष्ण ने प्रशासन अकादमी में हाथकरघा एवं हस्तशिल्प अधिकारियों की राज्य-स्तरीय बैठक में दी।

श्री प्रवीर कृष्ण ने कहा कि हाथकरघा एवं हस्तशिल्प के विस्तार के लिये प्रत्येक जिले में ग्रामोद्योग चौपाल स्थापित किये जायेंगे। इसके पहले हाथकरघा एवं हस्तशिल्प के सभी 13 क्लस्टर में ये चौपाल स्थापित होंगे। ग्रामोद्योग चौपाल सूचना प्रौद्योगिकी से युक्त रहेंगे, जहाँ जिले के सभी हाथकरघा बुनकर और कारीगर की जानकारी रहेगी। चौपालों का क्लोज यूजर ग्रुप से लिंक रहेगा। इससे सूचना का आदान-प्रदान संभव हो सकेगा। हाथकरघा एवं हस्तशिल्प में सूचना प्रौद्योगिकी और मार्केटिंग का समावेश करने से इसके उत्पादन में कई गुना वृद्धि हो सकती है।

प्रमुख सचिव ने बताया कि ग्रामोद्योग के विस्तार को लेकर अगले माह राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला होगी, जिसमें विशेषज्ञों के साथ मिलकर रणनीति तैयार की जायेगी। प्रत्येक जिले से 5-5 अच्छे, मध्यम और कमजोर बुनकरों की सूची तैयार कर उनकी आर्थिक स्थिति की समीक्षा करें कि कैसे उसमें सुधार हो सकता है। ग्रामोद्योग ही रोजगार के नये अवसर उपलब्ध करवा सकता है। इसके लिये जरूरी है कि सक्षम व्यक्तियों को इस सेक्टर से जोड़ा जाये।

श्री प्रवीर कृष्ण ने अधिकारियों से अपने-अपने जिले की योजनाओं के प्रस्ताव वर्ल्ड बेंक के अनुसार बनवाने को कहा। क्लस्टर योजना बनायी जाये। सभी बुनकरों की जानकारी कम्प्यूटर पर एक क्लिक पर उपलब्ध रहे। चंदेरी, महेश्वर साड़ी जैसे लोकप्रिय उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में स्थान मिले। बुनकरों के स्किल डेव्हलपमेंट पर ध्यान दिया जाये ताकि वे उत्पाद का वाजिब मूल्य प्राप्त कर सकें। उन्होंने क्लस्टरवार हाथकरघा उत्पादों की समीक्षा कर आय में दोगुना वृद्धि के लिये एक सप्ताह में योजना तैयार करने के निर्देश दिये। बाद में 30 जून तक विस्तृत कार्य-योजना बनायी जायेगी।

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