भोपाल, फरवरी 2013/ मध्यप्रदेश में विकास के लिए किये गये लगातार प्रतिबद्ध प्रयासों के चलते बीते सात वर्ष में विकास के हर क्षेत्र में जबर्दस्त उपलब्धियाँ हासिल हुई हैं। इस अवधि में प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 96 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि प्रचलित दरों पर प्रति व्यक्ति आय में लगभग 284 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है। सबसे बड़ी बात यह है कि कृषि, उद्योग और सेवा, विकास के इन तीनों क्षेत्र में प्रदेश तेजी से आगे बढ़ा है।

वित्त, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी मंत्री श्री राघवजी ने बताया कि स्थिर भावों पर मध्यप्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद आधार वर्ष 2004-05 में एक लाख 12 हजार 926 करोड़ 89 लाख रुपये था। मध्यप्रदेश आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के अग्रिम अनुमानों के अनुसार वर्ष 2012-13 में यह बढ़कर 2 लाख 21 हजार 462 करोड़ 86 लाख रुपये हो गया है। वर्ष 2011-12 में त्वरित अनुमान के अनुसार यह 2 लाख 1 हजार 898 करोड़ 87 लाख रुपये था।

स्थिर भावों पर शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद आधार वर्ष 2004-05 में 99 हजार 940 करोड़ एक लाख था, जो वर्ष 2012-13 (अग्रिम) में एक लाख 96 हजार 253 करोड़ 48 लाख रुपये हो गया। यह वृद्धि भी 96.37 प्रतिशत है।

योजना मंत्री ने बताया कि वर्ष 2004-05 से कृषि, उद्योग तथा सेवा, तीनों क्षेत्रों में शानदार सफलता अर्जित की गयी है। मध्यप्रदेश में आलोच्य अवधि में कृषि क्षेत्र और कृषि उत्पादन में बड़ी वृद्धि हुई है। वर्ष 2004-05 में कुल एक करोड़ 97 लाख 19 हजार 497 हेक्टेयर भूमि कृषि के अंतर्गत थी। यह क्षेत्र वर्ष 2011-12 में बढ़कर 2 करोड़ 21 लाख 65 हजार 760 हो गया। इसी प्रकार, प्रदेश में कृषि उत्पादन वर्ष 2004-05 में 2 करोड़ 49 लाख 39 हजार 689 मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2011-12 में बढ़कर 3 करोड़ 2 लाख मीट्रिक टन हो गया।

कृषि उत्पादन में इस अभूतपूर्व वृद्धि में सिंचाई साधनों में तेजी से विस्तार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 2004-05 में जहाँ सिर्फ 7 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती थी, वहीं वर्ष 2011-12 में 21 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवायी गयी। गेहूँ, धान, सोयाबीन, चना और सरसों आदि प्रमुख फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में विशेष वृद्धि हुई। गेहूँ उत्पादन में मध्यप्रदेश ने कीर्तिमान बनाया है। इस साल इसके पहले नम्बर पर आ जाने की पूरी संभावना है। प्रदेश में वर्ष 2011-12 में 127 लाख मीट्रिक टन गेहूँ का उत्पादन हुआ।

प्रदेश में कृषि विकास दर वर्ष 2004-05 में 7.98 प्रतिशत थी। यह वर्ष 2011-12 में बढ़कर 18.89 प्रतिशत हो गयी, जो देश में सबसे अधिक है। विकास के प्राथमिक क्षेत्र (कृषि, पशुपालन, वानिकी, मछली उत्पादन) में स्थिर मूल्य पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद 31 हजार 238 करोड़ 30 लाख था। यह वर्ष 2012-13 (अग्रिम) में बढ़कर 53 हजार 503 करोड़ 43 लाख रुपये हो गया।

द्वितीयक क्षेत्र में खनिज उत्पादन, उद्योग, विनिर्माण, विद्युत, गैस और जल आपूर्ति आते हैं। इस क्षेत्र में वर्ष 2004-05 में सकल घरेलू उत्पाद 30 हजार 658 करोड़ 8 लाख रुपये था। यह वर्ष 2012-13 (अग्रिम) में बढ़कर 61 हजार 185 करोड़ 30 लाख रुपये हो गया। इसमें खनिज उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। प्रदेश में वर्ष 2004-05 में समस्त खनिज उत्पादन 4 हजार 783 करोड़ 71 लाख रुपये था। यह वर्ष 2011 में बढ़कर 10 हजार 659 करोड़ 43 लाख रुपये हो गया। यह वृद्धि 223 प्रतिशत है।

इसी तरह, तृतीयक क्षेत्र में परिवहन, भण्डारण, संचार, व्यापार, होटल और रेस्टोरेन्ट, बैंकिंग तथा बीमा, रियल स्टेट तथा अन्य सेवाएँ आती हैं। इस क्षेत्र में वर्ष 2004-05 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद 51 हजार 30 करोड़ 51 लाख रुपये था। वर्ष 2012-13 (अग्रिम) में यह बढ़कर एक लाख 6 हजार 114 करोड़ 13 लाख रुपये हो गया। यह वृद्धि दो गुना से अधिक है।

प्रति व्यक्ति आय

मध्यप्रदेश में प्रति व्यक्ति आय (प्रचलित दरों पर) में वर्ष 2005-06 की तुलना में वर्ष 2011-12 में 284 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वर्ष 2004-05 में प्रदेश यह आय 15 हजार 442 रुपये थी। अग्रिम अनुमानों के यह वर्ष 2012-13 में बढ़कर 43 हजार 864 रुपये हो गयी।

प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय में वर्ष 2005-06 से साल दर साल में 15 हजार 442 रुपये थी, जो वर्ष 2005-06 में बढ़कर 16 हजार 631, वर्ष 2006-07 में 19 हजार 028, वर्ष 2007-08 में 20 हजार 935, वर्ष 2008-09 में 25 हजार 278, वर्ष 2009-10 में 28 हजार 712, वर्ष 2010-11 में 32 हजार 223 तथा वर्ष 2011-12 में 37 हजार 994 रुपये हो गई। वर्ष 2012 के अग्रिम अनुमान के अनुसार यह और बढ़कर 43 हजार 864 रुपये हो जाने की संभावना है।

 

प्रति व्यक्ति आय (प्रचलित दर)

2004-05     15,442

2005-06     16,631

2006-07     19,028

2007-08     20,935

2008-09     25,278

2009-10     28,712

2010-11      32,223

2011-12      37,994

2012-13 (अग्रिम)    43,864

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