भोपाल, अक्टूबर 2014/ राज्य-स्तरीय कृषि महोत्सव के आयोजन के क्रम में मछुआरों और मत्स्य-कृषकों की राज्य-स्तरीय संगोष्ठी भोपाल में 14 अक्टूबर को होगी। समन्वय भवन में सुबह 11 बजे होने वाली इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान होंगे। संगोष्ठी की अध्यक्षता मछुआ कल्याण तथा मत्स्य-विकास मंत्री सुश्री कुसुम महदेले करेंगी। संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य कृषि को लाभ का धंधा बनाने की प्रक्रिया में मछली-उत्पादन बढ़ाना तथा मछली-पालकों को उन्नत तकनीक की जानकारी देना है।

संगोष्ठी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मत्स्य वैज्ञानिक और विशेषज्ञों द्वारा मछली-पालन के क्षेत्र में कृषकों को तकनीकी मार्गदर्शन देंगे। मत्स्य-कृषकों की समस्याओं का निराकरण भी विशेषज्ञों द्वारा किया जायेगा। संगोष्ठी में मत्स्य-कृषकों के अनुभव के आदान-प्रदान के साथ ही विभिन्न विषय पर खुली चर्चा भी होगी।

प्रदेश की ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था में लोगों को रोजगार तथा प्रोटीनयुक्त भोजन उपलब्ध करवाने में मछुआ कल्याण विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है। कृषि सेक्टर में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में मत्स्य-क्षेत्र की भागीदारी 5.30 प्रतिशत है। प्रदेश में 4 लाख हेक्टेयर से अधिक जल-क्षेत्र उपलब्ध है, जिसके 98 प्रतिशत क्षेत्र में मछली-पालन हो रहा है। वर्ष 2009-10 में मछली उत्पादन की वृद्धि दर ऋणात्मक थी, जो बढ़कर विगत 3 साल में 13 प्रतिशत हो गई। वर्तमान में मछली उत्पादन 96 हजार 200 मीट्रिक टन से अधिक है। दृष्टि-पत्र 2018 के अनुसार उसे एक लाख 45 हजार मीट्रिक टन लाया जाना है।

उल्लेखनीय है कि मछली उत्पादन में वृद्धि के लिये 5 जलाशय में केज-कल्चर कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। साथ ही बड़े आकार के मत्स्य-बीज के संवर्धन के लिये पेन एवं पेरीफेरल पोंड का निर्माण भी करवाया जा रहा है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में मत्स्य आदर्श आहार, शून्य प्रतिशत ब्याज पर मछुआ क्रेडिट-कार्ड, मछुआ आवास, बचत-सह-राहत योजनाएँ प्रमुखता से संचालित हो रही हैं। जैव-विविधता को संरक्षित करने के प्रयासों में मछली की प्रजातियों का सर्वेक्षण करवाया गया है। सर्वेक्षण में 136 प्रजाति की पहचान की गई है। विलुप्त हो रही प्रजातियों के संरक्षण के प्रयास किये जा रहे हैं, जिसके तहत महाशीर एवं चीतल प्रजाति के मछली के बीज का संचयन किया गया है।

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