भोपाल, अप्रैल 2015/ नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री लाल सिंह आर्य ने नर्मदा भवन में ओंकारेश्वर सिंचाई परियोजना जलाशय भरने का विरोध करने वालों से विगत 23 अप्रैल 2015 को ही दो घण्टे चर्चा की है। नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री ने प्रतिनिधियों से कहा कि चर्चा के लिये सरकार के द्वार हमेशा खुले हुए हैं। ज्ञात हो कि आन्दोलनकारियों के प्रतिनिधियों से मुख्य सचिव और विभाग के प्रमुख सचिव भी चर्चा कर चुके हैं। इस प्रकार आंदोलनकारियों का यह कथन असत्य और भ्रामक है कि मिलने के लिये पत्र लिखने के बाद भी सरकार की ओर से जवाब और चर्चा की पहल नहीं की गई है।

ज्ञातव्य है कि जलाशय भराव का विरोध करने वालों की ओर से मुख्यमंत्री को चर्चा करने के लिये पत्र भेजा गया था। मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही विभाग के राज्य मंत्री और प्रमुख सचिव ने आन्दोलनकारी प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत चर्चा की। श्री आर्य ने किसानों के व्यापक हित में आन्दोलनकारियों से जलाशय से हटने की अपील की, लेकिन चर्चा करने आये प्रतिनिधि ओंकारेश्वर जलाशय रिक्त करने की माँग पर अड़े रहे।

श्री आर्य ने आन्दोलनकारियों के प्रतिनिधियों को विस्थापन और पुनर्वास कार्यों की जानकारी देने के साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृत 225 करोड़ के विशेष पेकेज की भी जानकारी दी। श्री आर्य ने बताया कि भूमि के बदले भूमि चाहने वाले 221 परिवार को शासन ने वैकल्पिक भूमि प्रस्तावित की थी। लेकिन इन परिवारों ने प्रस्तावित भूमि लेने से इन्कार कर दिया है। श्री आर्य ने आश्वस्त किया कि इन परिवारों को अन्य कृषि भूमि उपलब्ध करवाने की पहल गम्भीरता से की जा रही है। चर्चा में प्रमुख सचिव नर्मदा घाटी विकास श्री रजनीश वैश और अधिकारी उपस्थित थे।

उल्लेखनीय है कि ओंकारेश्वर परियोजना जलाशय का जल-स्तर 191 मीटर करते हुए परियोजना की बायीं मुख्य नहर में जल प्रवाह आरम्भ करने का कमाण्ड क्षेत्र के हजारों किसानों ने स्वागत किया है। कुल 64 किलोमीटर लंबी नहर में जल प्रवाह से लगभग 28 हजार किसान को एक लाख हेक्टेयर रकबे में गर्मी की फसल उत्पादन का लाभ मिलेगा। एक अनुमान के अनुसार केवल गर्मी की विभिन्न फसल से लगभग 560 करोड़ रूपये मूल्य का कृषि उत्पादन हो सकेगा।

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