भोपाल, दिसम्बर 2014/ जेंडर बजटिंग की अवधारणा, प्रक्रिया और प्रगति का अध्ययन करने आए भूटान केदल ने महिलाओं के सर्वागींण विकास के लिए बनी योजनाओं और उनके आए परिणामों की सराहना करते हुए यहाँ के राजनैतिक नेतृत्व और प्रशासनिक क्षमता की प्रशंसा की है। भूटान के नेशनल बजट के मुख्य बजट अधिकारी और दल के नेता ने यह विचार आज महिला-बाल विकास मंत्री माया सिंह से मुलाकात कर व्यक्त किए। इस मौके पर आयुक्त महिला सशक्तीकरण कल्पना श्रीवास्तव भी उपस्थित थीं।

भूटान का 15 सदस्यीय दल आज सुबह भोपाल पहुँचा। यह दल भारत में जेंडर रेस्पांसिव बजटिंग की प्रक्रिया का अध्ययन करने आया है। देश में जेंडर बजटिंग में मध्यप्रदेश के प्रयास पूरे देश में अग्रणी हैं। इस दृष्टि से रोल मॉडल बने प्रदेश में किस तरह इस अवधारणा को कम समय में क्रियान्वित किया गया है इसके लिए यू.एन. वूमेन ने भूटान के दल को मध्यप्रदेश भेजा है।

दल प्रमुख नामग्येल वांगचुक ने मंत्री से कहा कि उन्होंने जेंडर रेस्पांसिव बजट को लागू करने के प्रयासों को देखा। वे प्रभावित हैं कि कम समय में ही प्रदेश ने इस प्रक्रिया को अपनाया है। उनका दल इस बात से भी बहुत खुश है कि यहाँ का राजनैतिक नेतृत्व महिलाओं के प्रति काफी संवेदनशील है। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं विशेषकर लाड़ली लक्ष्मी और शौर्या दल को उल्लेखनीय बताया। सरकार की इच्छा शक्ति का ही परिणाम है कि आज प्रदेश महिलाओं के हित संरक्षण में पूरे देश में आगे है।

श्री वांगचुक ने कहा कि भूटान में जेंडर रेस्पांसिव बजटिंग को लागू करने के मामले में वे मध्यप्रदेश से सतत संवाद और सम्पर्क रखना चाहते हैं। इसे क्रियान्वित करने में जो चुनौतियाँ, नेटवर्किंग और अनुभव है वह मध्यप्रदेश के अलावा कहीं और नहीं मिल सकता। इसलिए वे चाहते हैं कि मध्यप्रदेश उनका मार्गदर्शन करे।

भूटान के अध्ययन दल ने शौर्या दल के सदस्यों से मुलाकात की और उनके कार्य की अवधारणा की सराहना करते हुए कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए समाज के सहयोग से किया जा रहा यह अभिनव प्रयास है। दल ने इसके पूर्व जेंडर बजटिंग का पॉवर प्रजेंटेशन भी देखा।

महिला-बाल विकास मंत्री ने दल को बताया कि भूटान इस मामले में जो भी सहयोग चाहेगा, दिया जाएगा। जेण्डर रेस्पांसिव बजट देश के 5 राज्य में ही बनाया जाता है। प्रदेश की शिवराजसिंह सरकार का प्रयास है कि महिलाएँ पूरी दुनिया में ताकतवर सक्षम और स्वावलंबी बने।

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