भोपाल, मई 2015/ निमाड़ अंचल में इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी की स्थिति में ओंकारेश्वर सिंचाई परियोजना की बायीं नहर न केवल ग्रामीण आबादी अपितु किसानों के पालतू पशुओं के लिये भी जीवनदायिनी बन गई है। इस अंचल के किसानों की माँग पर ओंकारेश्वर जलाशय का जल-स्तर बढ़ाकर गत 12 अप्रैल को पहली बार नहर में जल प्रवाह आरम्भ किया गया था। कुल 64 किलोमीटर लंबी बायीं नहर से लगभग 1 लाख हेक्टेयर रकबा सिंचाई परिधि में आ जायेगा।

जल प्रवाह शुरू होने के बाद अब अंचल का भू-जल स्तर सुधरने लगा है। नहर के आस-पास के कुओं और हेण्ड-पम्पों में जल-स्तर बढ़ रहा है। नहर किनारे के छोटे नाले भी जीवित होने लगे हैं। कुछ नालों और पोखरों में नहर के स्केप द्वारा पानी छोड़कर किसानों को पानी उपलब्ध करवाया गया है।

निमाड़ अंचल में पिछले दो दिन से पारा 45 से 46 डिग्री सेल्सियस पर है। ऐसी स्थिति में ओंकारेश्वर नहर का सर्वाधिक लाभ अंचल के किसानों के उन मवेशियों को मिल रहा है जो हर वर्ष गर्मी के मौसम में पानी और चारे की कमी से जूझते थे। अब मवेशियों को नहर के पानी से जीवित हो रहे नालों/पोखरों से पानी उपलब्ध है। वहीं आने वाले दिनों में पशु चारा भी उपलब्ध होने लगेगा। अंचल के किसान अपने खेतों में मिर्च, मूंग, कपास और सब्जी उत्पादन की तैयारी कर रहे हैं। मिर्ची उत्पादन में अग्रणी इस क्षेत्र में ओंकारेश्वर नहर के पानी से लगभग 4 लाख क्विंटल मिर्च का उत्पादन होना अनुमानित है।

उल्लेखनीय है कि नर्मदा नदी पर खण्डवा जिले में निर्मित ओंकारेश्वर सिंचाई परियोजना की एक लाख 47 हजार हेक्टेयर सिंचाई की पूर्ण क्षमता पर 2 लाख 83 हजार हेक्टेयर वार्षिक सिंचाई हो सकेगी। इस सिंचाई का लाभ खण्डवा, खरगोन और धार जिलों को मिलेगा।

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