भोपाल, जुलाई 2014/ राज्य शासन ने बैंकों के माध्यम से संचालित योजनाओं में हितग्राहियों को अनुदान, ब्याज अनुदान, गारंटी शुल्क आदि का नियमित समयावधि में भुगतान सुनिश्चित करने के निर्देश दिये हैं। सभी विभागाध्यक्षों, कलेक्टरों, आयुक्तों तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को यह निर्देश जारी किये गये हैं।
शासन के विभिन्न विभाग द्वारा संचालित रोजगारमूलक और आवास योजनाओं में हितग्राही को बैंक के माध्यम से योजना के प्रावधान के अनुसार अनुदान, ब्याज अनुदान, गारंटी शुल्क आदि का भुगतान करना होता है। शासन के ध्यान में यह बात आई है कि बैंक द्वारा हितग्राही को देय राशि का दावा संबंधित विभाग से समय पर नहीं किये जाने के कारण ऐसी राशि पर ब्याज का बोझ संबंधित हितग्राही पर पड़ता है।
निर्देश में कहा गया है कि योजनाओं में बैंकों द्वारा स्वीकृत एवं वितरित प्रकरण की निर्धारित प्रारूप में पंजी संधारित की जाये। यह सुनिश्चित करना संबंधित विभागीय कार्यालय का दायित्व होगा कि बैंक शाखा द्वारा हितग्राहियों को देय राशि के दावे निर्धारित समय में प्रस्तुत कर दिये गये हैं। दावा प्रस्तुत करने के बाद कार्यालय ऐसे सभी दावों का परीक्षण कर उनका प्राप्ति के माह में ही निराकरण कर दे।
निर्देश में यह भी कहा गया है कि दावा समय पर प्रस्तुत नहीं करने के कारण हितग्राही पर पड़े अतिरिक्त ब्याज का भार संबंधित बैंक को ही वहन करना पड़ेगा। बैंक की त्रुटि के कारण उत्पन्न ऐसी अतिरिक्त राशि हितग्राही से वसूल नहीं की जा सकेगी। यदि विभागीय कर्मचारी या अधिकारी से किसी हितग्राही को योजना में पात्रतानुसार दावे का सम्पूर्ण लाभ नहीं मिल पाता है और बैंक द्वारा हितग्राही से ऐसी राशि पर वसूली गई ब्याज की राशि का दायित्व संबंधित कर्मचारी-अधिकारी से वसूली योग्य होगा।