भोपाल, अक्टूबर 2014/ प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में 29 अक्टूबर से नवजात बच्चों को गल घोंटू, टिटनेस, काली खाँसी,हिपेटाइटिस-बी एवं हिब के अलग-अलग टीके नहीं लगेंगे। इनकी बजाए एक पेंटावेलेंट वेक्सीन (टीका) मुफ्त लगाया जायेगा। अभी अस्पतालों में बच्चों को इन बीमारियों से बचाने के लिए पाँच अलग-अलग टीके लगाये जाते हैं। यह टीके नवजात शिशु के जन्म के डेढ़ महीने से लेकर सवा साल की उम्र तक चार बार लगाए जाते हैं। यह प्रक्रिया बच्चे के लिए तकलीफदेह होती थी अब इसके स्थान पर मात्र एक ही टीका बच्चों को लगाया जाएगा।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 29 अक्टूबर को भोपाल में नवजात बच्चों को पेंटावेलेंट वेक्सीन (टीका) लगाने की शुरुआत करेंगे। प्रदेश में पेंटावेलेंट वेक्सीन बच्चों के लिए वरदान साबित होगी। इससे शिशु मृत्यु दर को कम करने के प्रयासों को और अधिक गति मिलेगी।

राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में बच्चों के निमोनिया, दिमागी बुखार, कान बहने की रोकथाम के लिए कोई भी टीका उपलब्ध नहीं था। पेंटावेलेंट वेक्सीन, हिब (टीका) बच्चों के लिए वरदान साबित होगा। हर वर्ष विश्व में पाँच वर्ष से कम आयु के लगभग 3 लाख, 70 हजार बच्चों की मृत्यु एच इनफ्लूएन्जी टाइप बी (हिब) रोग से होती है। इनमें से लगभग 20 प्रतिशत बच्चे भारत के होते हैं। हिब रोग के पश्चात जीवित बचे अधिकतर बच्चों में दीर्घकालिक प्रभाव जैसे स्थायी लकवापन, बहरापन और मस्तिष्क क्षतिग्रस्त होना पाया जाता है। हिब टीके से निमोनिया के एक तिहाई केस एवं मेनिनजाइटिस की 90 प्रतिशत बीमारी की रोकथाम हो सकती है। पेंटावेलेंट टीका शुरू होने से अब बच्चों को मात्र एक सुई 3 बार ही लगाई जाएगी (डेढ़, ढाई और साढ़े तीन माह)। पूर्व में 6 बार सुई लगाई जाती थी।

प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रवीर कृष्ण ने बताया कि जीरो डोज के रूप में संस्थागत प्रसव के बाद जन्मे सभी शिशुओं को जन्म के 24 घंटे में बीसीजी, हेपेटाइटिस-बी के साथ पोलियो की खुराक दिया जाना जारी रहेगा। शिशुओं को 9 से 12 माह के प्रथम मीजल्स टीकाकरण के बाद बूस्टर खुराक 16 से 24 माह की उम्र में दी जाने वाली डीपीटी, पोलियो, मीजल्स द्वितीय खुराक पाँच से 6 वर्ष की उम्र में दी जाने वाली डीपीटी की बूस्टर खुराक पूर्व की तरह जारी रहेगी।

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