भोपाल, नवम्बर 2015/किसान कल्याण एवं कृषि विकास के कहा है कि जिले में उर्वरक का व्यापार करने हेतु जिन फर्मों द्वारा उर्वरक विक्रय पंजीयन प्रमाणपत्र (लायसेन्स) प्राप्त कर उसका अवसान अवधि या उसके बाद एक माह तक विलम्ब शुल्क सहित ग्रेस पीरियड के अंदर नवीनीकरण नहीं कराया है ऐसे समस्त फर्मों के लायसेन्स स्वमेव निरस्त हो जाने के कारण वे किसी भी प्रकार के उर्वरकों का क्रय-विक्रय नहीं कर सकेंगी। बिना लायसेन्स के उर्वरक व्यापार करते पाए जाने पर संबंधित फर्म के विरूद्ध उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 के तहत सभी वैधानिक कार्यवाही की जावेगी। किसान भाईयों से अपील है कि वे बिना उर्वरक लायसेन्सधारी निजी विक्रेताओं से किसी भी प्रकार उर्वरक क्रय न करें। यदि वे निजी विक्रेताओं से उर्वरक क्रय करना चाहते हैं तो उन्हीं विक्रेताओं से क्रय करें जिनके पास लायसेन्स हैं। उर्वरक क्रय करते समय क्रय की गई सामग्री की रसीद अनिवार्य रूप से लें।

किसानों से अपील की है कि वे उर्वरक पंजीयन धारी विक्रेता की दुकान से ही खरीदे साथ ही किसान उर्वरक खरीदते समय यह अवश्य देखे कि उर्वरक की बोरी मशीन से सिली हुई हो, पैक बंद हो, बोरी पर कम्पनी का नाम, ग्रेड निर्माण तिथि, लांट क्रमांक स्पष्ट रूप से अंकित हो,यदि कोई विक्रेता उर्वरक के साथ अन्य सामग्री जबरदस्ती देता है तो न लेवे तथा उस विक्रेता की लिखित में शिकायत करें। दुकान पर लगे बोर्ड पर उर्वरक की कीमत देखें, उचित कीमत के साथ केस/क्रेडिट मेमो बिल अवश्य लेवे तथा किसान उस पर स्वयं के हस्ताक्षर अवश्य करें। उर्वरक खरीदते समय यदि किसानों को बोरियों के वजन के संबंध में शंका है तो तौलकर देखें। उर्वरक क्रय करते समय किसी भी प्रकार की अनियमितता पाई जाने पर तत्काल विकासखण्ड के खाद्य-निरीक्षक व वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी को लिखित में शिकायत करें। ऐसी शिकायत पर तत्काल कार्यवाही की जाएगी।

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