बासमती जी.आई. के प्रकरण में मध्यप्रदेश को एक बड़ी राहत मिली है। यह राहत मद्रास हाइकोर्ट द्वारा पिछले दिनों दिये गये फैसले से मिली है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि 60 दिवस में छूटे हुए क्षेत्र मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार को शामिल कर एपीडा जी.आई. बासमती के प्रमाण-पत्र के लिये पुन: आवेदन प्रस्तुत करे।
कोर्ट ने एपीडा को मध्यप्रदेश में उत्पादित धान के संबंध में पूर्ववत कार्यवाही निरन्तर रखने को भी कहा है। इस तरह 5 अप्रैल को होने वाली आगामी पेशी तक जीआई प्रमाण-पत्र अनुसार कार्रवाई स्थगित रहेगी।
उल्लेखनीय है कि एपीडा द्वारा बासमती के जी.आई. का प्रस्ताव 26 नंवबर, 2008 में प्रस्तुत किया गया था। इस पर जी.आई. रजिस्ट्री द्वारा 31 दिसंबर 2013 को यह निर्णय लिया गया था कि मध्यप्रदेश में बासमती की खेती होने में कोई संदेह नहीं है।
एपीडा ने दिये गये आदेशों का पालन न करते हुए बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड, चैन्नई के सामने इस आदेश के विरूद्ध अपील प्रस्तुत की। इस पर 5 फरवरी 2016 को न्यायालय द्वारा आदेश दिए गए। आदेश में निर्देश दिए गए कि Asstt. Registrar G.I. Registry Chennai एपीडा के 28 नवंबर 2011 के प्रस्ताव को मान्य करते हुए चार सप्ताह में जी.आई. बासमती हेतु एपीडा को प्रमाण-पत्र जारी करे। यह भी निर्देश दिए गए कि मध्यप्रदेश के प्रकरण पर दोबारा नये सिरे से विचार कर दोनों पक्षों को और साक्ष्य के समुचित अवसर देते हुए परीक्षण के बाद नियमानुसार छह माह के अंदर आदेश प्रसारित किया जाये।
इस संदर्भ में जी.आई. रजिस्ट्री द्वारा 15 फरवरी 2016 को एपीडा के पक्ष में बासमती के जी.आई. का प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया। इसमें जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, उत्तरप्रदेश के कुछ जिले, हरियाणा एवं दिल्ली को मिलाकर 7 राज्य को शामिल किया गया है। इस आदेश में मध्यप्रदेश को शामिल न करने पर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 15 फरवरी को ही मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका प्रस्तुत की गई। इस याचिका पर ही न्यायालय ने मध्यप्रदेश में बासमती की खेती होने को प्रमाणित किया। साथ ही यह भी आदेशित किया कि एपीडा छूटे हुए क्षेत्र मध्यप्रदेश राजस्थान और बिहार को शामिल कर जी.आई. बासमती प्रमाण-पत्र के लिये पुन: आवेदन करे।