भोपाल, अगस्त  2014/ मध्यप्रदेश राज्य बाँस मिशन किसानों को बाँस के वैज्ञानिक तरीके से रोपण, विदोहन और परिवहन में मदद देने के साथ-साथ उन्हें प्रदेश में और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय-स्तर पर बाजार मुहैया करवाने के भी प्रयास करेगा। 

मध्यप्रदेश राज्य बाँस मिशन संचालक डॉ. ए.के. भट्टाचार्य ने बताया कि बाँस उत्पादकों को बाजार उपलब्ध करवाने के लिये मिशन ने एक योजना तैयार की है। किसानों के खेतों और बाँस भिर्रो से प्राप्त बाँसों के विपणन के लिये ग्राम-स्तर पर किसान बाँस समिति का गठन कर पंजीयन करवाया जायेगा। बाँस मिशन समिति किसानों से बाँस ग्राम और पंचायत-स्तर पर प्राप्त कर उसका परिवहन करीब के डिपो पर करेगी। डिपो में बाँस की नीलामी और बिक्री की जायेगी। बाँस के क्रय का निर्धारण किसान बाँस समिति द्वारा राज्य बाँस मिशन के अनुमोदन से किया जायेगा। बाँस बिक्री और नीलामी के शुद्ध लाभ का 50 प्रतिशत किसान बाँस समिति को वापस दिया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि विश्व में चीन के बाद भारत सर्वाधिक बाँस उत्पादन करने वाला देश है। इसके बावजूद वैज्ञानिक ढंग से रोपण, विदोहन के अभाव में देश अंतर्राष्ट्रीय बाजार का लाभ उठाने में बहुत पीछे है। राज्य शासन ने मध्यप्रदेश राज्य बाँस मिशन का गठन कर बाँस के महत्व के बारे में जन-सामान्य को जागरूक करते हुए बाँस उत्पादन और बाँस उद्योग के माध्यम से नवीन सामाजिक, आर्थिक उत्थान की ओर कदम बढ़ाया है।

बाँस और रोजगार

एक हेक्टेयर में बाँस रोपण से 200 मानव दिवस रोजगार और उससे प्राप्त उत्पादन के प्र-संस्करण से 900 मानव दिवस रोजगार उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार 1.08 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से 2.16 करोड़ मानव दिवस रोजगार तथा कुल 108 करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधियाँ सृजित हो सकती हैं। बाँस मिशन द्वारा स्थानीय शिल्प जैसे टोकरी, परदे, भवन निर्माण में काम आने वाली चैली आदि के निर्माण में गुणवत्ता सुधार के साथ-साथ फर्नीचर, बाँस की टाइल्स, फ्लोरिंग आदि के निर्माण को प्रोत्साहित करने की योजना है। स्थानीय कारीगरों को प्रशिक्षण के साथ ही आधुनिक मशीनों वाले नये संयंत्र की स्थापना के भी प्रयास किये जायेंगे।

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