भोपाल, अगस्त  2014/ मध्यप्रदेश में सरकारी अस्पतालों द्वारा रोगियों को दी जाने वाली दवाओं की उच्चतम गुणवत्ता सुनिश्चित की गई है। सिर्फ डब्ल्यू.एच.ओ.जी.एम.पी. प्रमाणित निर्माताओं से ही निविदा आमंत्रित कर निर्धारित की गई दर पर जिलों द्वारा दवाओं का क्रय किया जा रहा है। वर्ष 2011-12 एवं 2012-13 में जी.एम.पी. प्रदायकर्ताओं द्वारा औषधियाँ प्रदाय की गईं। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्रमाणित निर्माता ही दवाएँ प्रदाय कर रहे हैं। औषधियों के उपार्जन के लिये राज्य-स्तर पर सिर्फ निविदाएँ आमंत्रित की जाती हैं।

दवा प्रदाय व्यवस्था में ऑनलाइन क्रय आदेश, भण्डारण, अन्य संस्थाओं को प्रदाय, गुणवत्ता रिपोर्ट और स्टॉक की उपलब्धता सॉफ्टवेयर के माध्यम से की जा रही है। प्रति सप्ताह औषधियों की उपलब्धता और गुणवत्ता की समीक्षा भी की जा रही है। दो दिवस पूर्व अर्थात 7 अगस्त को चार औषधियों के अमानक-स्तर का होने की जानकारी स्वास्थ्य संचालनालय को मिली है। इनके सेम्पल वर्ष 2012 तथा 2013 में लिये गये थे। इनके निर्माता से दवा मूल्य की वसूली कर उन्हें ब्लेक-लिस्टेड करने की कार्यवाही की जा रही है।

मरीजों को अमानक दवाएँ दिये जाने की खबरों को तथ्‍यों से परे बताते हुए स्वास्थ्य संचालनालय ने स्पष्ट किया है कि औषधियों की गुणवत्ता के परीक्षण के लिये औषधि नियंत्रक के अधीन कार्यरत औषधि निरीक्षक सेम्पल लेते हैं। सेम्पल का राज्य-स्तरीय लेब में भी गुणवत्ता परीक्षण होता है। गुणवत्ता देखने के लिये 7 राष्ट्रीय-स्तर की लेब्स अधिकृत की गई हैं। गत अप्रैल माह से अब तक भेजे गये सेम्पल्स में से 70 की परीक्षण रिपोर्ट आई है, जो मानक-स्तर की है। ये सभी 7 लेब्स बैंगलुरू, बहादुरगढ़, अहमदाबाद, पंचकुला, नई दिल्ली में स्थित हैं।

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