भोपाल, दिसम्बर 2014/ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश में अधिकतम लोगों को बेंकिंग सहायता उपलब्ध करवाने के लिए वित्तीय समावेशन के ‘समृद्धि’ मॉडल को सफलता से लागू किए जाने की तारीफ की। इसे अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय बताया। श्री मोदी ने मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री जन-धन योजना का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए मध्यप्रदेश को बधाई भी दी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने योजना आयोग के नये स्वरूप पर प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की बैठक में मध्यप्रदेश के वित्तीय समावेशन मॉडल ‘समृद्धि’ पर प्रस्तुतीकरण दिया।
मुख्यमंत्री ने प्रस्तुतीकरण में बताया कि मध्यप्रदेश में वर्ष 2011-12 में जब ‘समृद्धि’ मॉडल लागू किया गया। उस वक्त 14 हजार 767 गाँव ऐसे थे जिनकी परिधि के पाँच किलोमीटर तक किसी व्यावसायिक या सहकारी बेंक की शाखा नहीं थी। साथ ही कोई डाकघर भी नहीं था। राज्य सरकार ने इन क्षेत्रों की शेडो एरिया के रूप में पहचान की। वहाँ वित्तीय समावेशन का काम शुरू कर इसे ‘समृद्धि’ मॉडल नाम दिया गया। इस मॉडल में राज्य सरकार ने अल्ट्रा स्माल बेंक/ग्राहक सेवा केन्द्र स्थापित करने के लिए पंचायत भवनों में 100 वर्ग फीट तक का स्थान उपलब्ध करवाया। यह मॉडल डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के क्रियान्वयन के लिए अपेक्षित सभी प्रमुख बिन्दुओं पर केन्द्रित है।
‘समृद्धि’ मॉडल तीन प्रमुख स्तंभ पर आधारित है। इनमें समग्र पोर्टल, अल्ट्रा स्माल बेंक सेवाएँ और इलेक्ट्रॉनिक निधि प्रबंधन द्वारा बेंकों में पैसा सीधा पहुँचना शामिल है। प्रदेश में अभी तक 2400 अल्ट्रा स्माल शाखाएँ खोली गई हैं। इतने ही बेंक-मित्र बनाये गये हैं। इसमें कुल 77 लाख खाते खोले गये हैं। नये खातों में 91 लाख ट्रांजेक्शन में 1023 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में प्रधानमंत्री जन-धन योजना का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है। इसके लिए पहले दिन से ही अधिकारियों और बेंकरों के साथ मिलकर प्रयास शुरू किए गए। राज्य-स्तरीय बेंकर्स समिति में अधिकारियों और बेंकरों का मनोबल बढ़ाकर, उन्हें योजना का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया गया। जिला कलेक्टरों और लीड बेंक मेनेजरों ने भी इस कार्य में बहुत निष्ठा से कार्य किया।
प्रदेश में प्रधानमंत्री जन-धन योजना में कुल 1 करोड़ 53 लाख 86 हजार 853 परिवार का सर्वे किया गया। इनमें से 1 करोड़ 4 लाख 39 हजार 216 परिवार के पास पहले से ही खाते थे। शेष 49 लाख 47 हजार 637 परिवार के खाते खोलने के लिए अभियान चलाया गया। अभियान में 58 लाख 64 हजार 452 खाते खोले गये।