भोपाल, जनवरी 2015/ राज्यपाल रामनरेश यादव ने 66वें गणतंत्र दिवस पर स्थानीय लाल परेड ग्राउण्ड पर मुख्य समारोह में ध्वजारोहण कर परेड की सलामी ली। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेशवासियों का आव्हान करते हुए कहा कि यह हम सबके लिये गर्व की बात है कि मध्यप्रदेश आज एक नई पहचान बनाकर सुशासन, जन-कल्याण और अधोसंरचना विकास में निरंतर आगे बढ़ रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि 26 जनवरी, 1950 को हमने संविधान को अंगीकार कर गणतंत्र का रूप लिया। आज हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इसका श्रेय हमारे संविधान के निर्माताओं और लोकतंत्र की परम्पराओं को मजबूत करने वाली संस्थाओं को जाता है। उन्होंने कहा कि किसानों की मेहनत और सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप इस वर्ष हमारी कृषि विकास दर लगभग 25 प्रतिशत है। तीन साल से प्रदेश को भारत सरकार का प्रतिष्ठित ‘कृषि कर्मण” पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
श्री यादव ने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि जैविक खेती के क्षेत्र में मध्यप्रदेश अग्रणी है। देश के कुल जैविक कृषि उत्पादन में मध्यप्रदेश की भागीदारी 40 प्रतिशत है। किसानों को कृषि कार्य के लिये लगभग 10 घंटे बिजली दी जा रही है। स्थायी पम्प कनेक्शन की अनुदान योजना में इस वर्ष 74 हजार से अधिक कनेक्शन दिये गये हैं। इस वित्तीय वर्ष में टेरिफ सबसिडी और नि:शुल्क बिजली मद में राज्य सरकार ने विद्युत वितरण कम्पनियों को 4300 करोड़ की राशि अनुदान में दी है।
राज्यपाल ने कहा कि कृषि से सम्बद्ध अन्य क्षेत्रों के विकास पर भी ध्यान दिया गया है। प्रदेश की दूध उत्पादन की 8.6 प्रतिशत वृद्धि दर देश में सबसे अधिक रही। उद्यानिकी को बढ़ावा देते हुए मौसम आधारित फसल बीमा योजना लागू की गई है। प्रदेश में उपलब्ध जल क्षेत्र में से 98 प्रतिशत क्षेत्र में मछली-पालन हो रहा है। मछुआरों को जीरो प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण देने के लिये क्रेडिट-कार्ड दिये गये हैं। इस साल पौने दो लाख मछुआरों का दुर्घटना बीमा करवाया गया है।
विजन-2018 में शासकीय स्रोतों से सिंचाई क्षमता बढ़ाकर 40 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य है। आज प्रदेश में शासकीय सिंचाई योजनाओं से लगभग 30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है। सरकार ने उद्योग-व्यापार को बढ़ाने की दिशा में कदम उठाये हैं। विगत अक्टूबर में इंदौर में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में उद्योग-व्यापार जगत के महारथियों ने सरकार की नीतियों और प्रदेश में उपलब्ध संभावनाओं में पूरा विश्वास जताया है।
युवाओं को खुद का रोजगार स्थापित करने में मदद के लिये पूर्व से चल रही योजनाओं को समेकित कर युवा उद्यमी योजना शुरू की गई है। अभी तक 20 करोड़ से ज्यादा राशि के ऋण वितरित किये जा चुके हैं। नये उद्यमियों के नवाचार पर आधारित उद्योगों की मदद के लिये 100 करोड़ रुपये का वेंचर केपिटल फण्ड बनाया जा रहा है। प्रदेश में कारोबार और उद्योग शुरू करने तथा संचालन के लिये बेहतर वातावरण उपलब्ध करवाया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया” आव्हान से प्रेरित होकर ‘मेक इन मध्यप्रदेश” अभियान शुरू किया गया है। श्रम कानूनों में समय की माँग के अनुरूप बदलाव किये गये हैं। प्रदेश में निवेशकों को आसानी से सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के लिये नोडल ऑफिसर नियुक्त किये गये हैं।
भारत सरकार द्वारा की गई हर नीतिगत पहल का भरपूर लाभ उठाने के प्रयास किये जा रहे हैं। मध्यप्रदेश ने देश में सबसे पहले डिफेंस प्रोडक्शन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन पॉलिसी बनाई है।
बिजली में मध्यप्रदेश आत्म-निर्भर हुआ है। पिछले वर्ष प्रदेश में विद्युत की उपलब्धता 1590 मेगावॉट बढ़ी है। इसी साल श्रीसिंगाजी ताप विद्युत परियोजना की 600 मेगावॉट की द्वितीय इकाई में पूरी क्षमता से उत्पादन शुरू हो गया है। आज प्रदेश में सभी परिवार को 24 घंटे बिजली मिल रही है। बिजली के वैकल्पिक स्रोतों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। पिछले साल 306 मेगावॉट सौर बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित की गई। एशिया का सबसे बड़ा 130 मेगावॉट का सौर ऊर्जा संयंत्र नीमच में स्थापित हुआ है। पिछले साल 14 हजार 300 किलोमीटर नई सड़कें बनी और 4248 किलोमीटर सड़कों का नवीनीकरण हुआ। साथ ही, 44 बड़े पुल और रेलवे ओव्हर ब्रिज बने। पंच-परमेश्वर योजना में 9000 किलोमीटर सीमेंट-कांक्रीट सड़कें गाँव के भीतर बनाई गई हैं।
प्रदेश में स्वच्छता बढ़ाने के लिये शुरू किये गये अभियान में लोगों का भरपूर सहयोग मिल रहा है। अभी तक 37 लाख से ज्यादा ग्रामीण घर में व्यक्तिगत शौचालय बन चुके हैं। तीन हजार से ज्यादा गाँव खुले में शौच की बुराई से मुक्त हो गये हैं। स्व-सहायता समूहों की मदद से इस साल 3 लाख घर में शौचालय बनाने का अभियान शुरू किया गया है।
स्कूलों में बालक-बालिकाओं के लिये अलग-अलग शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है। अभी तक 10 हजार से अधिक शौचालय बन चुके हैं। गाँवों के साथ-साथ शहरों के विकास पर भी बराबर ध्यान दिया जा रहा है। वर्तमान में अकेले मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना कार्यक्रम में ही 1400 करोड़ की लागत से सड़क, उद्यान, नाली-निर्माण, फुटपाथ, स्ट्रीट लाइट आदि के काम चल रहे हैं। भोपाल और इंदौर के लिये देश की प्रथम लाइट मेट्रो परियोजना की डीपीआर तैयार हो रही है। जबलपुर और ग्वालियर के लिये प्री-फिजिबिलिटी स्टडी किये जाने की कार्यवाही शुरू हो गई है। शहरी गरीबों के लिये लगभग 26 हजार आवास का निर्माण विभिन्न चरण में चल रहा है।
प्रदेश में लोक परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने के लिये इंटरसिटी ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के गठन को मंजूरी दी गई है। प्राधिकरण लोक परिवहन संबंधी अधोसंरचना और विकास का कार्य करेगा। अनुसूचित-जाति, अनुसूचित-जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिये छात्रावास भवनों का निर्माण, छात्रवृत्ति एवं अन्य सुविधाओं की व्यवस्थाएँ निरंतर की जा रही हैं।
राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार सामाजिक क्षेत्र पर भी पूरा ध्यान दे रही है। इस वर्ष स्वास्थ्य गारंटी योजना लागू की है। सभी सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क दवा वितरण के लिये लागू की गई सरदार वल्लभ भाई नि:शुल्क औषधि वितरण योजना से पिछले साल लगभग 4 लाख लोगों को लाभ मिला है। इस वर्ष प्रदेश में नवजात शिशु मृत्यु दर में 3 और बाल मृत्यु दर में 4 अंक की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज हुई है। यह गिरावट देश में सबसे अधिक है। राज्य सरकार ने शिक्षा पर पर्याप्त ध्यान दिया है। सर्व-शिक्षा अभियान में 984 प्राथमिक, 50 माध्यमिक और 100 हाई स्कूल का उन्नयन किया गया है। दूसरे गाँव पढ़ने जाने वाले कक्षा छठवीं और नवमीं के 7 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क साइकिलें दी गई हैं। बारहवीं की परीक्षा में 85 प्रतिशत से ज्यादा अंक प्राप्त करने वाले 10 हजार से अधिक विद्यार्थियों को कम्प्यूटर खरीदने के लिये 26 करोड़ से अधिक की राशि दी गई है।
प्रदेश में महिलाओं के सशक्तिकरण और सुरक्षा की दिशा में ठोस कदम उठाये गये हैं। 1200 से अधिक आँगनवाड़ी भवन मंजूर किये गये। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में त्वरित कार्यवाही की जा रही है। सुशासन की दिशा में राज्य सरकार ने अभिनव प्रयास किये हैं। नागरिकों को अपने दस्तावेज स्वयं प्रमाणित करने की सुविधा दी गई है। आय प्रमाण-पत्र तथा मूल निवासी प्रमाण-पत्र सहित अनेक लोक-सेवाएँ प्राप्त करने के लिये स्टाम्प पेपर या नोटरी द्वारा प्रमाणित शपथ-पत्र की अब आवश्यकता नहीं होगी। नागरिकों की शिकायतों के निराकरण में तेजी लाने के लिये सी.एम. हेल्पलाइन शुरू की गई है। इसके माध्यम से लोग न केवल अपनी समस्याओं का समाधान करवा रहे हैं, बल्कि योजनाओं की जानकारी भी प्राप्त कर रहे हैं। छह लाख से अधिक शिकायतों का संतुष्टिपूर्ण समाधान किया गया है।
राज्य सरकार द्वारा प्रदेश से बाहर रहने वाले ऐसे व्यक्तियों, जो प्रदेश की विकास गाथा में अपनी प्रतिभा और संसाधनों का योगदान देना चाहते हैं, का ‘ग्लोबल टेलेंट पूल” स्थापित किया जा रहा है। प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति संतोषप्रद है। पुलिस का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। पुलिस कर्मचारियों के लिये 10 हजार 500 आवास का निर्माण शुरू किया गया है। सड़क दुर्घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण के लिये भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर और जबलपुर में 190 करोड़ रुपये की कार्य-योजना बनाई गई है।
अगले वर्ष उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ की तैयारियाँ पूरे जोरों पर चल रही हैं। इसमें करीब 5 करोड़ लोगों के पहुँचने का अनुमान है। राज्य सरकार द्वारा सिंहस्थ के दौरान समाज, देश और विश्व के समक्ष उपस्थित चुनौतियों पर विचार-गोष्ठियाँ भी आयोजित की जायेंगी। इस मंथन के निष्कर्षों के आधार पर ‘वैश्विक घोषणा” भी तैयार की जायेगी।
राज्यपाल ने कहा कि हम सब अपने प्रदेश की शांति, समृद्धि एवं निरंतर विकास के लिये और अधिक परिश्रम एवं प्रतिबद्धता के साथ काम करने का संकल्प लें।