भोपाल, सितम्बर 2014/ भ्रूण लिंग परीक्षण एवं लिंग आधारित गर्भपात नियंत्रण के लिए भारत सरकार द्वारा 1996 में पी.सी. पी.एन.डी.टी. एक्ट लागू किया गया है। एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये मध्यप्रदेश में एक सुनियोजित योजना में कार्य किया जा रहा है।

एक्ट के प्रावधानों के अनुरूप राज्य में गत एक वर्ष में समस्त निर्धारित बैठकें की गई हैं। एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के तहत 932 केन्द्र का निरीक्षण किया गया है। जाँच के दौरान एक्ट का उल्लंघन पाये जाने पर 30 केन्द्र का पंजीयन निरस्त किया गया तथा 25 केन्द्र को अनियमितता पाये जाने पर सील किया गया है। इसके अतिरिक्त 8 केन्द्र के विरूद्ध प्रकरण न्यायालय में दर्ज करवाये गये हैं। राज्य एवं जिला स्तरीय पर्यवेक्षण दल नियमित रूप से केन्द्रों के निरीक्षण का कार्य करते हैं। गत सप्ताह भी भोपाल के एक केन्द्र के विरूद्ध स्टिंग ऑपरेशन की कार्यवाही की गई थी जिसके बाद उक्त केन्द्र को सील कर प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत करने की कार्यवाही की जा रही है।

लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने एक्ट के प्रचार-प्रसार और जन-जागरूकता बढ़ाने का कार्य भी किया है। पुरस्कार योजना में भ्रूण लिंग परीक्षण एवं लिंग आधारित गर्भपात की सूचना देने वाले व्यक्ति को पुरस्कार प्रदान किये गये हैं। ‘हमारी बिटिया वेबसाइट’ के माध्यम से बिटिया के जन्म को प्रोत्साहन देने की पहल की गई है। जन-जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन भी हुआ है।

स्वास्थ्य आयुक्त ने जानकारी दी है कि प्रदेश की जनसंख्या में महिला-पुरुष अनुपात के लिए जिला स्तर पर सूक्ष्म प्राधिकारी कार्यवाही कर रहे हैं। अवैध रूप से कन्या भ्रूण परीक्षण करने वाले केन्द्र का पंजीयन निरस्त करने और केन्द्र सील करने की कार्यवाही की गई है। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने अपनी ओर से भी प्रकरण न्यायालय में दर्ज करवाये हैं। अधिनियम में कलेक्टर ग्वालियर ने एक प्रकरण में एनएसए की कार्यवाही की है।

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