भोपाल, जुलाई 2014/ प्रदेश में नि:शक्त व्यक्ति, समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी अधिनियम-1995 के प्रावधान के अनुसार नि:शक्त छात्र-छात्राओं के लिये छात्र-गृह योजना-2008 लागू की गई है। योजना के विधिवत क्रियान्वयन के लिये आयुक्त, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण ने जिला कलेक्टर्स को पत्र लिखा है।

पत्र में कहा गया है कि सामाजिक न्याय विभाग द्वारा छात्र-गृहों का संचालन कक्षा 11 तथा उससे ऊपर की कक्षाओं में अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राओं के उपयोग के लिये किया जायेगा। छात्र-गृह की स्थापना शासकीय अथवा किराये पर भवन लेकर की जा सकती है। भवन किराये के 750 रुपये प्रतिमाह तक के प्रस्ताव शिक्षण संस्थान के प्राचार्य तैयार कर संयुक्त संचालक अथवा उप संचालक को भेजेंगे और उनसे स्वीकृति लेंगे। मासिक किराया 1500 रुपये के भवन का प्रस्ताव कलेक्टर के अनुमोदन से विभागीय अधिकारी तैयार करेंगे। इससे अधिक किराये का भवन लिये जाने की स्वीकृति के लिये कलेक्टर को अधिकृत किया गया है। भवन किराये का निर्धारण कलेक्टर द्वारा किया जायेगा।

छात्र-गृह योजना में अभिभावक की वार्षिक आय 96 हजार रुपये तक के बंधन को समाप्त किया गया है। छात्र-गृह में बिजली, पानी पर होने वाला व्यय प्रति छात्र-गृह राज्य शासन की ओर से वहन होगा। इससे अधिक की राशि का व्यय छात्रों को बराबर-बराबर आपस में मिलकर वहन करना होगा। छात्र-गृह योजना का संचालन स्वैच्छिक संस्थाओं के माध्यम से भी करवाया जा सकता है। सामाजिक न्याय विभाग ने जिला कलेक्टर्स से योजना का जिले में व्यापक प्रचार-प्रसार किये जाने के लिये भी कहा है।

 

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