भोपाल, अगस्त 2014/ प्रदेश में माताओं, बच्चों को बीमारियों से बचाने और उनके सामान्य स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए ग्राम स्तर पर जागरूकता बढ़ाने का अभियान प्रारंभ किया जा रहा है। इस कार्य में ग्राम स्तर पर स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता सक्रिय भूमिका निभाएंगे। एक सितंबर को ममता रथ विकासखंड स्तर पर स्वास्थ्य जागृति का कार्य करेंगे।
प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य प्रवीर कृष्ण ने अभियान और ममता रथ की भूमिका के संबंध में तैयारियों की समीक्षा की। प्रमुख सचिव ने प्रत्येक परिवार तक ममता अभियान-द्वितीय चरण के कार्यों से लोगों को अवगत करवाने को कहा। मुख्य रूप से व्यवहार परिवर्तन के बारह बिंदु के बारे में ग्रामवासियों को जागरूक बनाया जाए। इसके अंतर्गत माता और शिशु के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हिदायतों का समावेश किया गया है। बच्चे के जन्म के पश्चात छह माह तक सिर्फ माँ का दूध देने, रोगों से बचाव के लिए जरूरी टीके लगवाने और गर्भवती माताओं को आयरन टेबलेट के सेवन के लिए प्रेरित करने जैसे बिंदु व्यवहार परिवर्तन में शामिल किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने सूचना प्रौद्योगिकी माध्यमों का भरपूर उपयोग इस अभियान के लिए भी किया है। आने वाले माह में एम गवर्नेन्स (मोबाइल फोन) के माध्यम से भी गाँव-गाँव तक माताओं और शिशुओं के अच्छे स्वास्थ्य के लिए उपयोगी संदेश देने का कार्य बढ़ाया जाएगा।
बैठक में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं पर आधारित ममता अभियान के चिन्हित स्वास्थ्य संदेशों के संबंध में भी विचार-विमर्श किया गया। मध्यप्रदेश माध्यम, जनसंपर्क विभाग की इस प्रचार अभियान में सक्रिय भूमिका रहेगी।
प्रमुख सचिव ने पी.सी.पी. एंड पी. एंड डी. टी. अधिनियम के संबंध में आयोजित कार्यशाला में जिला नोडल अधिकारियों को सक्रिय भूमिका निभाने के निर्देश दिए। कार्यशाला में अल्ट्रा सोनोग्राफी मशीन के गर्भवती माताओं की सेहत की जांच में उपयोग करने और दुरुपयोग रोकने को कहा गया। बालिकाओं के जन्म में कमी न आने पाए, इस उद्देश्य से अल्ट्रा सोनोग्राफी मशीन के अवैध कार्य में संचालन को पूरी तरह रोकने के लिए अधिनियम लागू है। पूर्व में अधिनियम के तहत सोनीग्राफी केंद्र बंद करवाने और दोषी व्यक्ति के विरुद्ध एन. एस. ए. में कार्रवाई भी की जा चुकी है। कार्यशाला में वक्ताओं ने छह वर्ष तक आयु की बालिकाओं की मृत्यु के मामलों को और कम करने के लिए समयानुसार टीकाकरण के महत्व पर प्रकाश डाला।