भोपाल, अक्‍टूबर 2012/ प्रदेश में 4 लाख 70 हजार सूक्ष्म और लघु इकाइयाँ पंजीकृत हैं। इन इकाइयों में 4075 करोड़ से अधिक का पूँजी निवेश है और 12 लाख से अधिक व्यक्तियों को रोजगार मिला हुआ है। प्रदेश में स्थापित 757 वृहद और मध्यम उद्योगों में 39 हजार 637 करोड़ रुपये का पूँजी निवेश है और एक लाख 82 हजार व्यक्तियों को रोजगार मिला हुआ है।

इसी पृष्ठभूमि में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2012 में सूक्ष्म और लघु उद्योगों के सम्मेलन को विशेष स्थान दिया गया है। उद्योग संवर्धन नीति-2010 में भी व्यापक संशोधन करते हुए सूक्ष्म और लघु उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिलों का वर्गीकरण समाप्त कर सभी जिलों को पिछड़े जिले की श्रेणी ‘स’ की सुविधाएँ दी जाएँगी। इन उद्योगों के लिये सभी जिलों में ब्याज अनुदान की दर 5 प्रतिशत, अवधि 7 वर्ष तथा अधिकतम सीमा 25 लाख कर दी गई है। स्थाई पूँजी निवेश पर अनुदान की राशि बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई है।

उद्योग निवेश संवर्धन सहायता

सभी जिलों में एक से 10 करोड़ तक के स्थाई पूँजी निवेश के सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को जमा किये गये वेट और सी.एस.टी. में से इनपुट टैक्स को घटाकर शेष राशि पर 50 प्रतिशत की दर से 5 वर्ष के लिये उद्योग निवेश संवर्धन सहायता दी जायेगी। मध्यम उद्योगों को विभिन्न श्रेणी के जिले में पात्रता अनुसार 50 से 75 प्रतिशत तक उद्योग निवेश संवर्धन की पात्रता है, जिसकी अवधि 3 से 10 वर्ष की होगी।

थ्रस्ट सेक्टर उद्योगों को सहायता

सभी जिलों में 50 लाख से अधिक स्थाई पूँजी निवेश के चयनित थ्रस्ट सेक्टर के लघु उद्योगों को 25 प्रतिशत की दर से अधिकतम 30 लाख रुपये का विशेष अनुदान दिया जायेगा। चयनित थ्रस्ट सेक्टर के मध्यम उद्योगों को 25 प्रतिशत की दर से विशेष अनुदान, जिसकी अधिकतम सीमा ‘अ’, ‘ब’ एवं ‘स’ श्रेणी के जिलों में क्रमशः 12 लाख, 18 लाख एवं 30 लाख रुपये का अनुदान दिया जायेगा।

पात्र विनिर्माण लघु एवं मध्यम उद्योगों में प्रथम कच्चा माल क्रय दिनांक से 5 वर्ष के लिये प्रवेश-कर मुक्त की सुविधा दी जायेगी।

वेंडर यूनिट्स को मदर यूनिट की तरह सुविधा

ऑटोमोबाइल एवं टेक्सटाइल सेक्टर के वृहद उद्योगों परिसर अथवा आसपास स्थापित नवीन वेंडर यूनिट्स, जिनके द्वारा अपने विक्रय का 75 प्रतिशत मदर यूनिट को विक्रय किया जाता है, उन्हें मदर यूनिट की तरह सुविधाओं का पैकेज दिया जायेगा। मदर यूनिट द्वारा वेंडर यूनिट को भूमि ‘‘सब-लीज’’ करने की अनुमति दी जायेगी।

निजी क्षेत्र द्वारा विकसित किये जाने वाले औद्योगिक पार्क के विकास व्यय के 15 प्रतिशत की दर से अधिकतम 5 करोड़ रुपये तक की सहायता दी जायेगी। इस पार्क का न्यूनतम क्षेत्रफल 100 एकड़ एवं उसमें न्यूनतम 10 इकाइयों की स्थापना और 250व्यक्तियों को नियमित रोजगार मिलना जरूरी है।

लेण्ड बैंक की स्थापना

प्रदेश में औद्योगिक अधोसंरचना उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से अतिक्रमण विहीन शासकीय भूमि चिन्हित कर 39 जिलों में 19 हजार 700 हेक्टेयर का लेण्ड बैंक बनाया गया है।

टेक्सटाइल उद्योगों के लिये विशेष पैकेज

नवीन टेक्सटाइल इकाइयों को पात्र पूँजी निवेश का 10 प्रतिशत, अधिकतम एक करोड़ रुपये का निवेश अनुदान दिया जायेगा। सेंट्रली स्पांसर्ड टेक्सटाइल अपग्रेडेशन फण्ड स्कीम से लिंक टर्म-लोन पर 2 प्रतिशत की दर से 5 वर्ष के लिये ब्याज अनुदान दिया जायेगा, जिसकी अधिकतम सीमा 5 करोड़ होगी। अपैरल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की स्थापना पर 25 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा, जिसकी अधिकतम सीमा 25 लाख होगी।

लघु और मध्यम इकाइयों के लिये क्लस्टर विकास

लघु और मध्यम इकाइयों को क्लस्टर के रूप में विकसित करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है, जिससे निर्माण लागत में कमी आ सके। इंदौर, देवास, उज्जैन, भोपाल, कटनी, जबलपुर, ग्वालियर आदि शहरों के समीप विभिन्न सेक्टरों में लघु और मध्यम इकाइयों के क्लस्टर्स विकसित किये जा रहे हैं। इसमें औषधि, नमकीन, रेडीमेड गारमेंट, प्लॉस्टिक, पैकेजिंग, इंजीनियरिंग और पोहा क्लस्टर्स प्रमुख हैं। निवेश के अन्य क्षेत्रों के लिये पृथक नीति बनाई गई है।

ऑनलाइन पंजीयन एवं वेंडर डेव्हलपमेंट

लघु उद्योग निगम के पोर्टल पर प्रदेश में संचालित सभी लघु और मध्यम उद्योगों के ऑनलाइन पंजीयन की सुविधा शुरू की गई है। इनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं की गुणवत्ता में सुधार और तकनीकी उन्नयन के लिये विभिन्न औद्योगिक संगठन के सहयोग से ‘‘वेंडर डेव्हलपमेंट कार्यक्रम’’ भी चलाया जायेगा।

मध्यप्रदेश ट्रेड फेयर अथॉरिटी का गठन

प्रदेश के उद्यमियों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लेने के लिये अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला प्राधिकरण की तर्ज पर मध्यप्रदेश ट्रेड फेयर अथॉरिटी का गठन किया गया है। प्रतिवर्ष चयनित उद्यमियों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में भाग लेने के लिये हवाई-यात्रा व्यय पर अनुदान दिया जायेगा।

रिवर्स बायरसेलर मीट का आयोजन

प्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग को प्रोत्साहित करने के लिये प्रतिवर्ष ‘‘रिवर्स बायर-सेलर मीट’’ का आयोजन किया जायेगा। ग्वालियर और भोपाल में दो रिवर्स बायर-सेलर मीट का आयोजन क्रमशः जनवरी और मार्च, 2013 में किया जायेगा। इन मीट्स में विभिन्न देशों के लगभग 100 बायर्स के भाग लेने की संभावना है।

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