भोपाल, अक्टूबर 2014/ प्रदेश में स्थित पेट्रोल एवं डीजल पम्प की जाँच 3 माह में कम से कम एक बार करवाये जाने के निर्देश खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने जिला कलेक्टर्स को दिये हैं।
पेट्रोल-डीजल पम्प से विक्रय किये जाने वाले पेट्रोल-डीजल की गुणवत्ता की शिकायत के आधार पर सेम्पल लिये जाने पर उन सेम्पल का परीक्षण दूसरी ऑइल कम्पनी की प्रयोगशाला के साथ-साथ ऑइल कम्पनी से भिन्न प्रयोगशाला में भी परीक्षण करवाने के लिये कहा गया है। कम्पनी की मार्केटिंग गाइड-लाइन के अंतर्गत पेट्रोल-डीजल क्रय करने पम्प पर आने वाले वाहनों में नि:शुल्क हवा भरने एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध करवाई जायें। पेट्रोल-डीजल पम्प पर ग्राहकों की सुविधा के लिये शिकायत-पुस्तिका उपलब्ध करवाये जाने के निर्देश भी दिये गये हैं। कलेक्टर्स को निर्देश दिये गये हैं कि उनके समक्ष आवश्यक वस्तु अधिनियम में प्रस्तुत होने वाले प्रकरणों का निराकरण अधिकतम 6 माह की अवधि में अनिवार्य रूप से किया जाये।
प्रदेश को भण्डारण एवं लॉजिस्टिक हब के रूप में विकसित करने के लिये निजी पूँजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये जारी की गई वेयर-हाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक नीति-2012 की समयावधि में 2 वर्ष की और वृद्धि की गई है। इस संबंध में खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग ने आदेश जारी किया है।
आदेश में कहा गया है कि यह वृद्धि 15 लाख मीट्रिक टन क्षमता पूर्ण होने अथवा 2 वर्ष की अवधि समाप्त होने, जो भी पहले हो, तब तक के लिये की गई है। राज्य सरकार ने वेयर-हाउस लायसेंस प्रक्रिया के सरलीकरण के लिये वेयर-हाउस नियम-1961 में संशोधन कर नवीन लायसेंस एवं लायसेंस के नवीनीकरण की अवधि को एक वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष भी किया है।