भोपाल। ऊर्जा सचिव मोहम्मद सुलेमान ने बिजली सप्लाई कम्पनियों से कहा है कि वे वाणिज्यिक हानियों को कम करके संतोषजनक विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करें। वितरण कम्पनियों के प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी को यह याद रखना चाहिये कि उसकी बुनियादी भूमिका उपभोक्ताओं को बिजली देना और उसके अनुसार राजस्व वसूल करना है। बिजली चोरी पर प्रभावी नियंत्रण रखा जाये। आवश्यकता होने पर भूतपूर्व सैनिकों तथा स्थानीय प्रशासन की मदद से बिजली चोरी रोकने की मुहिम चलाई जाये
कम्पनियों को लिखे पत्र में ऊर्जा सचिव ने कहा है कि राज्य शासन सभी घरेलू उपभोक्ताओं को चौबीस घंटे बिजली देने का वायदा कर चुका है। पॉवर मैनेजमेंट कम्पनी इसके लिये पर्याप्त बिजली मुहैया कराए वहीं वितरण कंपनियां वाणिज्यिक रूप से सतत संचालन की प्राथमिक जिम्मेदारी पूरी करें।
श्री सुलेमान ने कहा कि वितरण कम्पनियों और पॉवर मैनेजमेंट कम्पनी के बीच हुए इंटर-कॉर्पोरेट एग्रीमेंट्स में यह स्पष्ट प्रावधान है कि होल्डिंग कम्पनी द्वारा कम्पनियों के परामर्श से विद्युत आपूर्ति योजना बनाई जाएगी और पॉवर मैनेजमेंट कम्पनी इस योजना के प्रावधानों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगी। साथ ही पॉवर मैनेजमेंट कम्पनी द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली बिजली को वितरण कम्पनियाँ हर हाल में सुचारु तरीके से उपभोक्ताओं तक पहुंचाएगी।
विद्युत आपूर्ति की औसत लागत और प्रति इकाई औसत राजस्व के बीच अंतर है। निश्चित ही, आपूर्ति बढ़ाने से राजस्व हानियाँ होंगी। यह पहले ही तय किया जा चुका है कि इस अंतर को कम करने के लिये हमें वाणिज्यिक हानियों पर काबू करना होगा। इसके लिये सबसे प्रभावी उपाय वितरण अधोसंरचना को मजबूत करना है। इसीलिये 1100 करोड़ खर्च करने की योजना है। इस निवेश से संबंधित सभी ठेकों में वाणिज्यिक हानियाँ कम करने का स्पष्ट प्रावधान है। हमें अपनी यह मानसिकता बदलनी होगी कि वाणिज्यिक हानियाँ कम करने के लिये विद्युत आपूर्ति कम कर दी जाये। इसके बजाय, राजस्व बढ़ाकर तथा तकनीकी कौशल से ये हानियाँ कम की जानी चाहिये।
श्री सुलेमान ने प्रबंध संचालकों से कहा है कि वितरण कम्पनियों को डिस्काम के सीजीएम (कॉमर्शियल) के सीधे पर्यवेक्षण नियंत्रण में लाया जाये, जो पॉवर मैनेजमेंट कम्पनी के सीजीएम को निरंतर रिपोर्टिंग करें। पॉवर मैनेजमेंट कम्पनी द्वारा वितरण कम्पनियों के परामर्श से विद्युत आपूर्ति योजना बनाई जाये और इसे अंतिम रूप दिये जाने पर इसे कोई भी नहीं बदल सके। विद्युत आपूर्ति योजना को बेस-लाइन माना जाये और उपलब्धता तथा स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर के निर्देशों पर जहाँ संभव हो, वहाँ अतिरिक्त ऊर्जा की आपूर्ति की जाये। डीसीसी द्वारा एक दिन तथा एक सप्ताह पूर्व के आपूर्ति अनुमान तैयार किये जायें और यह देखा जाये कि इनमें वास्तविक माँग परिलक्षित हो।