भोपाल, दिसम्बर 2014/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्देश दिये हैं कि पुराने विद्युत सयंत्रों के नवीनीकरण तथा प्रति इकाई उत्पादन लागत कम करने की दीर्घकालिक रणनीति बनायी जाय। मुख्यमंत्री ऊर्जा विभाग की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में मुख्य सचिव अंटोनी डि सा भी उपस्थित थे।
श्री चौहान ने बैठक में विद्युत प्रदाय की स्थिति, राजस्व प्राप्ति तथा फीडर सेपरेशन की समीक्षा की। निर्देश दिये कि कृषि के लिये प्रतिदिनि 10 घंटे विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाये। बिगड़े ट्रांसफार्मर बदलने का कार्य समय-सीमा में किया जाये। फीडर विभक्तिकरण का शेष कार्य समय-सीमा में पूरा हो। विद्युत कम्पनियों द्वारा बेहतर सेवाएँ दी जाये तथा अमले का व्यवहार उपभोक्ताओं से बेहतर हो। उन्होंने कहा कि विद्युत आपूर्ति और वसूली में गुणात्मक सुधार के प्रयास किये जाये। शस्त्र लायसेंस जारी करने और नवीनीकरण से पहले विद्युत बिल के नो-ड्यूस की अनिवार्यता की जाये।
बताया गया कि वर्तमान में 200 मिलियन विद्युत यूनिट की प्रतिदिन आपूर्ति की जा रही है। प्रदेश में इस वर्ष एक भी दिन अल्पावधि बिजली खरीदी नहीं की गयी। अभी की जा रही विद्युत आपूर्ति मध्यप्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक है। ग्रामों, शहरों, उद्योगों को 24 घंटे बिजली दी जा रही है। फीडर सेपरेशन का कार्य 70 प्रतिशत पूरा हो गया है। इसमें पश्चिम क्षेत्र में 94 तथा पूर्व क्षेत्र में 80 प्रतिशत फीडर सेपरेशन कार्य हो चुका है। मध्य क्षेत्र इस कार्य में पिछड़ रहा था। अब इस क्षेत्र में भी फीडर सेपरेशन में गति आयी है। बीते 2 माह में विद्युत की बकाया वसूली 7.6 प्रतिशत बढ़ी है। दिसम्बर माह में 10 हजार 370 मेगावॉट विद्युत मांग की पूर्ति करने की तैयारी की गई। विद्युत कम्पनियों के राजस्व में इस वर्ष नवम्बर अंत तक 23.6 प्रतिशत वृद्धि हुई है। विद्युत कम्पनियों में सुधार की रणनीति बनाने के लिये तीन समिति का गठन किया गया है, जो मीटरिंग, बिलिंग और कलेक्शन में गुणात्मक सुधार, वितरण हानियाँ और पॉवर पर्चेज कास्ट कम करने के बारे में सुझाव देगी। बैठक में ऊर्जा सचिव आई.सी.पी. केसरी, मुख्यमंत्री के सचिव विवेक अग्रवाल सहित ऊर्जा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।