भोपाल, अक्टूबर 2014/ जन-निजी भागीदारी (पीपीपी) के स्विस चेलेंज मॉडल के लिये मध्यप्रदेश में सारे सेक्टर खोल दिये गये हैं। ‘पीपीपी मॉडल-स्विस चेलेंज की चुनौतियाँ’ विषय पर आज इन्दौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान हुए सेक्टोरल सेमीनार में विशेषज्ञों ने इस संबंध में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा की गयी नीतिगत पहल की सराहना की। सेमीनार में वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया भी शमिल हुए।
पीपीपी विशेषज्ञ श्री अभयकृष्ण अग्रवाल ने ‘स्विस चेलेंज प्रोक्योरमेंट’ विषय पर अपने प्रेजेन्टेशन में इसके सभी पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि परिवहन के क्षेत्र में यह मॉडल बहुत सफल रहा है। इस मॉडल के माध्यम से सरकारों की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है। यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि इस मॉडल में प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद अधूरा नहीं छोड़ा जाये। यह भी देखा जाये कि कोई भी बिडर एक बार काम शुरू कर दे, तो उसे अधूरा छोड़कर न जाये। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा इस क्षेत्र में रेग्युलेशन के लिये उठाये गये कदमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह मॉडल भले ही बहुत ज्यादा लोकप्रिय न हो, लेकिन देश के कई राज्य और अनेक देश ने इसमें बहुत से सफल काम किये हैं। कई राज्यों ने स्विस चेलेंज फ्रेंमवर्क भी तैयार किये हैं।
इंटरनेशनल फायनेंस कार्पोरेशन के सीनियर इन्वेस्टमेंट ऑफिसर श्री डर्क सोमेर ने स्विस चेलेंज मॉडल में प्राप्त होने वाले अनसॉलिसिटेड प्रस्तावों के विषय में प्रेजेंटेशन देकर इसकी प्रासंगिकता को बताया। उन्होंने विभिन्न देश में इस मॉडल में किये गये ऐतिहासिक कार्यों का उदाहरण दिया। इस संदर्भ में उन्होंने इजिप्ट में स्वेज केनॉल, फ्रांस में केनॉल डि मिडी सहित चिले, आस्ट्रेलिया, फिलीपीन्स और कोरिया में हुए कार्यों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में इस क्षेत्र में जो प्रक्रिया प्रारंभ की गई है, वह निश्चित ही सफल होगी। मध्यप्रदेश की नीति में पीपीपी क्षेत्र की आवश्यकताओं को अच्छी तरह समझ कर समुचित प्रावधान किये गये हैं।
आयुक्त संस्थागत वित्त और मुख्यमंत्री के सचिव श्री विवेक अग्रवाल ने देश के अनेक राज्य में स्विस चेलेंज मॉडल के माध्यम से किये गये कार्यों की चर्चा की। उन्होंने तमिलनाडु, पंजाब, आंध्रप्रदेश, गुजरात और केरल में हुए कार्यों के बारे में बताया। उन्होंने जानकारी दी कि मध्यप्रदेश में इस मॉडल में आईटी क्लाउड कंपीटिंग और रूरल बीपीओ के क्षेत्र में प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। पहला प्रस्ताव ग्रामीण क्षेत्रों में बीपीओ स्थापित करने का है। इसमें 5 वर्ष में 143 करोड़ का निवेश होगा और प्रत्येक बीपीओ में 200 युवा को रोजगार मिलेगा। श्री अग्रवाल ने बताया कि इस मॉडल के लिये मध्यप्रदेश में सारे क्षेत्र खुले हैं।
सेशन के अंत में उपस्थित उद्यमियों के प्रश्नों के श्री विवेक अग्रवाल और अन्य विशेषज्ञों ने उत्तर दिये तथा उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया।