भोपाल, दिसंबर 2012/ मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2012 में पशुपालन विभाग को अनेक सौगातें दी। वर्षों बाद पशु चिकित्सकों के लिए नया सेटअप लागू हुआ। इसके पूर्व विभाग में लगभग 90-95 प्रतिशत पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ ऐसे थे, जो इसी पद पर सेवा में आते थे और उसी पद से रिटायर हो जाते थे। नये सेटअप में एक पद संचालक, 2 पद अपर संचालक, 21 पद संयुक्त संचालक, 105 पद उप संचालक, 52 पद सिविल सर्जन पशु चिकित्सा और 45 पशु प्रजनन कार्यक्रम अधिकारी के पदों का सृजन किया गया। इस प्रकार विभाग में प्रथम श्रेणी के कुल पद 75 से बढ़कर 224 हो गये। बड़ी संख्या में पदों की स्वीकृति वर्ष 1956 में प्रदेश के गठन के बाद पहली बार मिली।

वर्ष 2012 के पहले दिन ही राज्य सरकार के बहु प्रतीक्षित मध्यप्रदेश गौ-वंश वध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक 2010 को राष्ट्रपति से मंजूरी प्राप्त होने की जानकारी मिली। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अधिनियम का राजपत्र में प्रकाशन कर दिया गया। बाद में 5 मार्च को अधिसूचना जारी कर अधिनियम को विधिवत लागू कर दिया गया। संशोधित अधिनियम में गौ-वंश वध के अपराध की सजा 3 से बढ़ाकर 7 साल की गई।

इसी साल से कुछ जिलों में पशुओं के उपचार की ऑनलाईन सुविधा भी प्रारंभ हुई। पशु उपचार की ऑनलाईन (ई-वेट) परियोजना में कम लागत में पशुओं के उपचार की सुविधा पशुपालकों के घरों में पैरावेट के माध्यम से उपलब्ध करवाई जा रही है। प्रदेश में पशु-संगणना का कार्य भी इसी वर्ष हुआ।

राज्य सरकार ने उत्कृष्ट कार्य करने वाली गौ-शालाओं को राज्य स्तर पर पुरस्कृत करने की भी घोषणा की। नौ जनवरी को मध्यप्रदेश गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड द्वारा भोपाल में ‘‘भारतीय गौ-वंश नस्ल सुधार’’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की कि गौ-वंश के संरक्षण, संवर्धन के लिए देश का पहला और मध्यप्रदेश का अनूठा गौ-अभयारण्य शाजापुर जिले में बनेगा। मुख्यमंत्री की घोषणा का पालन करवाने में पशुपालन मंत्री श्री अजय विश्नोई ने तत्परता दिखाई और इसी साल 24 दिसम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई के जन्म-दिवस की पूर्व बेला में सुसनेर तहसील के ग्राम सालरिया में कामधेनु गौ-अभयारण्य का भूमि-पूजन हुआ।

नयी पशुधन विकास नीति लागू

राज्य सरकार ने पशुधन विकास नीति बनाकर उस पर अमल भी शुरू कर दिया है। प्रदेश की हर पंचायत में पशुपालक संघ गठित करने तथा पशुओं की देशी नस्ल को प्रोत्साहन देने के लिए वत्स-पालन प्रोत्साहन योजना लागू करवाने का निर्णय भी मौजूदा साल में लिया गया। इसी वर्ष प्रदेश के दुग्ध उत्पादन में चार गुना वृद्धि परिलक्षित हुई। दुग्ध उत्पादन में प्रतिदिन औसत एक लाख 33 हजार 204 किलोग्राम की वृद्धि रिकार्ड की गई। चालू माली साल के दौरान एक करोड़ पाँच लाख पशुओं का टीकाकरण हो रहा है, जो पिछले साल की तुलना में एक लाख अधिक है। राज्य सरकार ने इसी वर्ष अधिक दूध देने वाली गायों के पशुपालकों को ‘‘गोपाल पुरस्कार’’ से पुरस्कृत करने की योजना भी लागू की।

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