मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज सम्पन्न मंत्रि-परिषद् की बैठक में पर्यटन, वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स तथा तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास नीतियों को मंजूरी दी गई।
राज्य पर्यटन नीति
राज्य पर्यटन नीति में पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया है। हेरिटेज होटल के लिए अनुदान की व्यवस्था की गई है। इसके अनुसार निजी स्वामित्व वाले भवनों को यदि भवन स्वामी अथवा अन्य निवेशक द्वारा हेरिटेज होटल में परिवर्तित कर संचालित किया जाता है तो किए गए पूंजीगत व्यय का 25 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। इसमें भूमि का मूल्य शामिल नहीं है। पूंजीगत व्यय का 25 प्रतिशत अनुदान अथवा 1.50 करोड़ रुपये जो भी कम हो, देय होगा। अनुदान का भुगतान तब किया जाएगा जब निवेशक द्वारा होटल निर्माण के बाद हेरिटेज होटल के रूप में संचालन का एक वर्ष पूरा कर लिया गया हो तथा होटल को होटल एण्ड रेस्टोरेन्ट्स एप्रूवल एण्ड क्लासिफिकेशन कमेटी द्वारा हेरिटज होटल के रूप में वर्गीकृत कर लिया हो। पूंजीगत व्यय का आकलन राज्य पुरातत्व विभाग तथा पर्यटन निगम की अधिकारियों की एक समिति द्वारा किया जाएगा।
नीति में प्रमुख धार्मिक पर्यटन-स्थलों पर बजट होटल निर्माण करने पर निवेशकों को अनुदान देने का प्रावधान भी किया गया है। विभाग के लेण्ड बैंक पर निर्माण की स्थिति पर 10 प्रतिशत अनुदान तथा 50 लाख रुपये जो भी कम हो, देय होगा। विभागीय भूमि के अपसेट मूल्य पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। निवेशक द्वारा स्वयं की भूमि पर होटल निर्माण की स्थिति में पूंजीगत व्यय का 20 प्रतिशत अनुदान अथवा 50 लाख रुपये, जो भी कम हो, दिया जाएगा। ऐसे मामलों में भूमि के मूल्य पर अनुदान नहीं दिया जाएगा।
बजट होटल के निर्माण में अनुदान/छूट की पात्रता तभी मान्य होगी जब होटल में कम से कम 50 अथवा उससे अधिक कक्ष का निर्माण किया गया हो तथा किराया 2 हजार रुपये प्रति कक्ष से ज्यादा न हो। डॉरमेटरी के निर्माण पर अनुदान/छूट की पात्रता तभी होगी जब इसमें 100 बिस्तर उपलब्ध हों तथा प्रति बिस्तर किराया 200 रुपये से अधिक न हो।
ऐसे चुनिंदा पर्यटन-स्थल में जहाँ पर्यटकों के लिए समुचित आवास व्यवस्था आवश्यकता के अनुरूप नहीं है वहाँ पर्यटन विभाग द्वारा निवेशकों को होटल/रिसॉर्ट निर्माण के लिए आमंत्रित किए जाने पर पूंजीगत व्यय अनुदान की व्यवस्था की गई है।
भोपाल और इंदौर में प्राथमिकता आधार पर बड़े एवं जबलपुर, ग्वालियर में मध्यम स्तर के कन्वेंशन सेंटर बनाए जाएँगे। पर्यटन परियोजनाओं पर वांछित अनुमतियाँ शीघ्र प्राप्त हो सके, इसके लिए 10 करोड़ अथवा उससे अधिक की परियोजनाओं पर ट्राईफेक के माध्यम से क्लीरेंयस दिए जाएँगे। नीति में प्रमुख पर्यटन-स्थलों पर 24 घंटे बिजली सुनिश्चित करने की व्यवस्था की गई है। साथ ही वीकेण्ड टूरिज्म को बढ़ावा देने तथा बार लायसेंस संबंधी प्रावधान भी किए गए हैं।
वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिकस नीति
मंत्रि-परिषद् ने प्रदेश की वेयर हाउसिंग एवं लॉजिस्टिकस नीति 2012 को स्वीकृति दी। इसका उद्देश्य प्रदेश में भण्डारण और लॉजिस्टिक्स हब विकसित करने के उद्देश्य से निजी पूँजी निवेश के माध्यम से 2 वर्ष में 20 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त भण्डारण व्यवस्था करना है। वर्तमान क्षमता 91 लाख मीट्रिक टन है। आगामी वर्षों में 60 लाख मीट्रिक क्षमता निर्माण किया जाना प्रस्तावित है।
नीति में नये प्रस्तावित उद्योगों के क्षेत्र में 10 प्रतिशत भूमि के आरक्षण का प्रावधान है। दस जिलों में न्यूनतम 50 एकड़ भूमि में वेयरहाउसिंग जोन की स्थापना की जाएगी। वेयरहाउस के लिए भूमि आंवटन लघु उद्योगों के लिए निर्धारित दर पर किया जाएगा। प्रास्तावों की स्वीकृति के लिए सिंगल विंडो प्रणाली होगी। पहले से निर्मित गोदामों को किराये पर लेने के लिए तथा साइलो बैग जैसी आधुनिक भण्डारण पद्धतियों के लिए व्यवसाय गारंटी माडल होंगे। ‘प्रथम आओ प्रथम पाओ’ आधार पर भण्डारण क्षमता 20 लाख मीट्रिक टन तक सीमित होगी। वेयरहाउसिंग निर्माण के लिए एक करोड़ रुपये से अधिक के पूंजी निवेश पर 15 प्रतिशत पूंजीगत अनुदान दिया जाएगा जिसकी अधिकतम सीमा 2.25 करोड़ रुपये होगी। पाँच प्रतिशत की दर से सात वर्ष के लिए ब्याज अनुदान दिया जाएगा जिसकी अधिकतम सीमा 1.70 करोड़ रुपये होगी। पूर्व निर्मित इकाइयों के एक करोड़ से अधिक विस्तार निवेश को नई इकाई के रूप में मान्यता दी जाएगी।
साइलो निर्माण पर पूंजीगत लागत की 20 प्रतिशत वीजीएफ का प्रावधान किया गया है। पाँच वर्ष की व्यवसाय गारंटी दी जाएगी। लॉजिस्टिक्स की समेकित परियोजनाओं में न्यूनतम 50 नये भार वाहन के क्रय एवं 10 हजार मीट्रिक टन क्षमता के गोदाम निर्माण पर वाहन पंजीयन शुल्क पर 2 प्रतिशत छूट दी जाएगी। ज़्क़्ङॠ अथवा क्ष्च्ग्र् 9000 से मान्यता के लिए 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा जिसकी अधिकतम सीमा एक लाख रुपये होगी।
नीति में 20 लाख मीट्रिक टन क्षमता निर्माण में से 15 लाख मीट्रिक टन गोदामों तथा 5 लाख मीट्रिक टन साइलो बैग के माध्यम से की जाएगी। इसमें कुल निवेश 1231 करोड़ रुपये संभावित है जिसमें 173 करोड़ रुपये अनुदान होगा।
तकनीकी एवं कौशल विकास नीति-2012
मंत्रि-परिषद् ने तकनीकी एवं कौशल विकास नीति-2012 में संशोधन को मंजूरी दी। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम में 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 48 लाख व्यक्ति को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शासकीय एवं निजी क्षेत्र में उपलब्ध प्रशिक्षण अधोसंरचनाओं तथा निजी क्षेत्र के अनुभव का उपयोग किया जाएगा।
संशोधन के अनुसार आईटीआई विहीन विकासखण्ड में आईटीआई स्थापित करने के लिए अधिकतम 5 एकड़ शासकीय भूमि 30 वर्ष की लीज पर निःशुल्क दी जाएगी। पूंजीगत निवेश पर अनुदान की व्यवस्था की गई है। पूंजीगत लागत (उपकरण एवं भवन सहित) का 25 प्रतिशत की सीमा तक हाई एण्ड आईटीआई के लिए और 20 प्रतिशत की सीमा तक सामान्य आईटीआई के लिए अनुदान तीन समान किश्तों में निर्धारित शर्तों के अनुसार दिया जाएगा।
कौशल विकास केन्द्र की स्थापना के लिए केवल उपकरण क्रय के लिए अधिकतम 2.5 लाख रुपये की राशि दो किश्त में दी जाएगी। शासन द्वारा प्रायोजित 50 प्रतिशत सीटों के शिक्षण शुल्क की प्रतिपूर्ति निर्धारित शर्त के अनुसार अधिकतम 10 वर्ष के लिए की जाएगी।
योजना में स्थापित आईटीआई कौशल विकास केन्द्रों के प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण की लागत के 50 प्रतिशत व्यय की प्रतिपूर्ति निर्धारित शर्त के अनुसार की जाएगी।