भोपाल जून 2015/ परिवार ने तो उन्हें ठुकराया पर सरकार की योजनाओं ने उन्हें सँवारा और अब समाज उन्हें अपनाने जा रहा है। इन अनाथों को 15 जून को अपने नाथ मिल जाँएगे। महिला-बाल विकास विभाग द्वारा संचालित पश्चातवर्ती गृह की 12 युवतियाँ इस दिन अपना नया जीवन शुरू करेंगी जो जन्म लेने वाले हर व्यक्ति का सपना होता है, वह है सुखी वैवाहिक जीवन।
पश्चातवर्ती गृह ऐसी वयस्क बालिकाओं का आश्रय गृह है जो अनाथ हैं। जो अपने परिवार से प्रताड़ित और उपेक्षित हैं। इन बालिकाओं की देखरेख कर उनका अभिभावक बन महिला-बाल विकास विभाग उन्हें नया जीवन जीने के लिए न केवल प्रेरित करता है बल्कि उन्हें प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर भी बनाता है। पश्चातवर्ती गृह भोपाल की जो बालिकाएँ वैवाहिक जीवन में बँधने जा रही हैं उनमें से 4 बालिका ने महिला पॉलिटेक्निक से फैशन डिजाइन का कोर्स किया। अन्य ने जूट से सामान बनाने तो किसी ने सिलाई-बुनाई का प्रशिक्षण लिया है। महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने इन सभी बालिकाओं के बेहतर पुनर्वास पर जोर दिया है। उन्होंने विभाग की समीक्षा बैठक में ऐसी लड़कियों पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विवाह के बाद भी माता-पिता के समान विभाग इन लड़कियों के नए परिवारजन से संपर्क में रहे और उनकी देखभाल करता रहे।
महिला-बाल विकास विभाग द्वारा लड़कों का चयन, चाल-चलन, परिवार, व्यवसाय आदि की पड़ताल के लिए 6 माह की प्रक्रिया निर्धारित है। इसके लिए विधि सह-परवीक्षा अधिकारी चयनित लड़कों की पड़ताल करता है। सबसे पहले लड़कों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर उनके दस्तावेज का परीक्षण करता है। जैसे आय का प्रमाण पत्र, व्यवसाय की जानकारी, नौकरी में है तो उसकी जानकारी। इस रिपोर्ट में खरे उतरने वाले परिवार से फिर शादी की बातचीत शुरू की जाती है। पहले लड़का-लड़की मिलते हैं। इसके बाद लड़की की पसंद पूछी जाती है। जब वह हाँ कर देती है तब लड़के से पूछा जाता है। दोनों की सहमति के बाद लड़की को लड़के के परिवार से मिलवाया जाता है। इसमें लड़के-लड़की के आपसी स्तर का भी ध्यान रखा जाता है। इसके बाद फिर शुरू होती है वैधानिक प्रक्रिया।
स्टाम्प पेपर में इस बात का कमिटमेंट परिवार वालों से करवाया जाता है कि वे कभी भी लड़की को अनाथ होने का ताना नहीं देंगे। जीवन-भर अपनाएँगे इसकी गारंटी ली जाती है। इसके बाद शादी की स्वीकृति कलेक्टर से ली जाती है।
इसी प्रक्रिया से गुजरकर पश्चातवर्ती संगठन भोपाल ने अपने यहाँ की 12 युवतियों का विवाह तय किया। इन बालिकाओं के लिए जो लड़के चुने गए वे सभी कमाऊ हैं। देवास के अभिषेक जैन शासकीय सेवा में हैं। सीहोर के दीपक जैन ड्रायवर हैं और उनके पास खेती की जमीन है, राजगढ़ के राजेश, मिस्त्री का काम करते हैं। आगर मालवा के नंदकिशोर पंडिताई और कृषि करते हैं। शाजापुर के सुनील प्रायवेट स्कूल में टीचर हैं। भोपाल के पुनीत, मनाली में होटल में असिस्टेंट मैनेजर हैं और शीघ्र ही विदेश जाने वाले हैं। इन्होंने होटल मेनेजमेंट का कोर्स किया है। रतलाम के दिनेश कृषि कार्य करते हैं। भोपाल के जितेन्द्र मंडीदीप में धागा बनाने वाली फैक्ट्री में काम करते हैं। सीहोर के सोनू बेंक में सिक्योरिटी गार्ड हैं और कृषि कार्य करते हैं। सीहोर के ही मोनू कांट्रेक्टर और खेती करते हैं। ग्वालियर के पुरुषोत्तम प्राइवेट लेब में असिस्टेंट है और शाजापुर के प्रवीण बढ़ई का काम करते हैं।
जिला महिला-बाल विकास विभाग ने इन युवतियों की शादी में घराती बनकर आने वाली बारात के स्वागत का पूरा इंतजाम किया है। गायत्री शक्ति पीठ को विवाह-स्थल बनाया है। इसके पहले 12 जून को गणेश पूजन, 13 जून को माता पूजन, 14 जून को मेहंदी एवं महिला संगीत की रस्म हुई। सोमवार 15 जून को सभी 12 युवती विवाह के बंधन में बँध जायेंगी। आप भी ऐसे विवाह के साक्षी बन सकते हैं।