भोपाल, दिसम्बर 2015/ सुविख्यात संगीत कलासाधक पद्मश्री पं. अजय चक्रवर्ती को गुरूवार की रात को ग्वालियर में वर्ष 2014-15 के “राष्ट्रीय तानसेन सम्मान” से विभूषित किया गया। समारोह विधायक जयभान सिंह पवैया के मुख्य आतिथ्य में हुआ। पं. चक्रवर्ती को तानसेन अलंकरण के रूप में दो लाख की सम्मान राशि, प्रशस्ति पट्टिका और शॉल-श्रीफल भेंट किए गए।

देश-दुनिया में गहरी प्रतिष्ठा हासिल कर चुके पं. चक्रवर्ती पटियाला घराना गायिकी के सर्वश्रेष्ठ कलाकार हैं। पं. चक्रवर्ती को संगीत के क्षेत्र में और भी राष्ट्रीय स्तर के सम्मान मिल चुके हैं। अपर सचिव संस्कृति राजेश मिश्रा ने पं. चक्रवर्ती के सम्मान में तानसेन अलंकरण का वाचन किया।

श्री जयभान सिंह पवैया ने कहा कि पूरा प्रदेश पं. चक्रवर्ती को सम्मानित कर गौरवान्वित है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का साधन भी है।

ग्वालियर हमारे लिये पुण्य-भूमि – पं. चक्रवर्ती

पं. अजय चक्रवर्ती ने कहा कि ग्वालियर भारत का एक शहर भर नहीं वह एक पुण्य-भूमि है। धन्य है ग्वालियर जहाँ तानसेन जैसे बड़े फनकार पैदा हुए। ख्याल गायिकी का पहला स्वरूप ग्वालियर में ही ईजाद हुआ। उसे ही आधार मानकर बड़े गुलाम अली खाँ ने पटियाला गायिकी को शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में पहचान दिलाई।

पं. चक्रवर्ती ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार कला के क्षेत्र में जितने अवार्ड देती है, उतना कोई भी राज्य नहीं देता। इसके लिये प्रदेश सरकार साधुवाद की पात्र है। एक कला साधक की जिम्मेदारी होती है कि कला के सम्मान के रूप में उसे जो मिलता है, उसकी वापसी वह कला साधकों की नई पीढ़ी तैयार कर करे। इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने श्रुति नंदन स्कूल शुरू किया है। स्कूल में एक हजार से अधिक बच्चे नि:शुल्क संगीत की शिक्षा ले रहे हैं। पं. चक्रवर्ती ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा स्थापित पहला राष्ट्रीय कुमार गंधर्व सम्मान भी मुझे मिला था।

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