भोपाल। आज जब पूरे विश्व में प्राकृतिक ऊर्जा स्त्रोत के विकल्प की खोज की जा रही है। अनूपपुर जिले के विशेष पिछड़ी जनजाति के कक्षा 9 में पढ़ने वाले छात्र रवि बैगा ने जेट्रोफा से ईको फ्रेंडली बायो-डीजल बनाने की तकनीक प्रस्तुत की है। रवि बैगा जिले के ग्राम पाटनकलां के विद्यालय में पढ़ रहा है। रवि के पिता मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। विशेष पिछड़ी जनजाति का रवि अब अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन नई दिल्ली में करेगा।
पेट्रोलियम ईधन के वैकल्पिक ईधन का प्रदेश में एकमात्र मॉडल
राज्य स्तरीय इंस्पायर अवार्ड विज्ञान प्रदर्शनी में 767 बाल वैज्ञानिक के प्रदर्शित विभिन्न विज्ञान मॉडल में पेट्रोलियम ईधन के वैकल्पिक ईंधन स्त्रोत पर एकमात्र मॉडल रवि द्वारा प्रदर्शित किया गया था। प्रदर्शनी का आयोजन 21 से 23 अक्टूबर तक प्रगति मैदान, नई दिल्ली में होगा। रवि और उनके शिक्षकों को भरोसा है कि रवि का यह मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर भी चयनित होगा। कमिश्नर लोक शिक्षण श्री अरूण कोचर ने भी रवि को उसकी इस उपलब्धि पर बधाई और शुभकामनाएँ दी हैं। उन्होंने कहा कि रवि को आगे बढ़ने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा हर संभव मदद दी जाएगी।
बायो-डीजल का उत्पादन
जेट्रोफा (रतनजोत) एक बहु वार्षिक पौेधा है, जो बंजर भूमि, पहाड़ी क्षेत्र जहाँ कृषि उत्पादन नहीं हो सकता, वहाँ तैयार होने वाला पौधा है, जिसे जानवर भी नहीं खाते। यह पौधा बहुत जल्दी तैयार हो जाता है, इसके बीज में 25 से 30 प्रतिशत तक तेल होता है, शेष नमी 6.20 प्रतिशत, प्रोटीन 10 प्रतिशत, फैट 38 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 17 प्रतिशत, फाइबर 15.5 प्रतिशत, ऐस 5.30 प्रतिशत होती है। इसके तेल में अनसेचुरेटेड फेट 79 प्रतिशत तथा सेचुरेटेड फेट की मात्रा 21 प्रतिशत होने से यह खाद्य तेल की भाँति प्रयुक्त नहीं होता। इसका बीज जहरीला होता है। इससे बड़ी ही सरल विधि से बायो-डीजल तैयार किया जा सकता है। सबसे पहले जेट्रोफा बीज से तेल निकालकर उसे 70 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर डिहाइड्रेटेड करते हैं। बाद में उसमें ट्रांसइस्टरीफिकेशन की क्रिया एल्कोहल की उपस्थिति में एक उत्प्रेरक सोडियम हाइड्रोक्साइड के माध्यम से करवाई जाती है। इससे 24 घंटे उपरांत बायो-डीजल की परत अलग हो जाती है तथा अपशिष्ट पदार्थों में ग्लीसरीन तथा पैराफिन मोम प्राप्त होता है, जिसे कॉस्मेटिक, साबुन, मोमबत्ती एवं दवा उद्योग में प्रयोग किया जाता है। इसकी खली में नाइट्रोजन, पोटेशियम, फास्फोरस प्रचुर मात्रा में पाए जाने से किसान इसका उपयोग खाद के रूप में कर सकते हैं। प्राप्त बायो-डीजल धुआँरहित होने से ईको फ्रेंडली ईधन की तरह कार्य करता है तथा इसका प्योर प्वांइट 2 डिग्री सेंटीग्रेड होने से ठंड के दिनों में जमता नहीं है। इसका फायर प्वांइट 136 सेंटीग्रेड होने से इसके भंडारण, परिवहन आदि में कोई दिक्कत नहीं है। यह आसानी से पेट्रोलियम उत्पादों में घुल जाने से ब्लेडेड रूप से ईधन की तरह काम करता है। इस ईधन में एक आदर्श पेट्रोलियम ईधन की सभी विशेषताएँ पाई जाती हैं।