भोपाल, मई 2015/ मध्यप्रदेश का लोकप्रिय साँची दूध पाउडर शीघ्र ही नेपाल के भूकम्प पीड़ितों को उपलब्ध करवाया जायेगा। भारत सरकार द्वारा नेपाल को की जा रही सहायता के संबंध में मध्यप्रदेश दुग्ध महासंघ को साँची दूध पाउडर भेजने के लिये पत्र प्राप्त हुआ है। महासंघ के प्रबंध संचालक द्वारा नई दिल्ली में हुई बैठक में इसके लिये सहमति भी दे दी गयी है।
दुग्ध महासंघ के प्रयासों से हरियाणा डेयरी फेडरेशन को 400 मीट्रिक टन सफेद मक्खन के क्रय का आदेश भोपाल एवं उज्जैन दुग्ध संघ को मिला है। प्रदेश में साँची घी और मक्खन की माँग उपभोक्ताओं के बीच निरंतर बढ़ रही है। विगत 4 माह में साँची घी का विक्रय 1100 मीट्रिक टन से बढ़कर 1600 मीट्रिक टन हो गया है। राज्य के सभी साँची पार्लर/बूथ में मक्खन का विक्रय 10 टन से बढ़कर 27 टन हो गया है। प्रदेश में हो रहे दुग्ध संकलन को देखते हुए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित स्पेशल टॉस्क-फोर्स द्वारा 26 प्रतिशत वार्षिक दुग्ध संकलन बढ़ाये जाने की अनुशंसा की गयी थी। महासंघ के प्रयासों से दुग्ध संकलन 26 के स्थान पर 36 प्रतिशत बढ़ाया गया है। साँची दूध के नये उत्पाद मिठाइयाँ और ठण्डाई भी बाजार में उपलब्ध करवायी गयी हैं।
साँची के उत्पादों की गुणवत्ता एवं शुद्धता को देखते हुए 450 मीट्रिक टन होल मिल्क पाउडर देश की रक्षा सेनाओं को भेजा जायेगा। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस से 23 मीट्रिक टन होल मिल्क पाउडर तथा 10 हजार किलो घी का आदेश भी प्राप्त हुआ है। यह सामग्री शीघ्र रक्षा सेनाओं को भेजी जायेगी। प्रदेश को अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों के आदेश भी प्राप्त होने वाले हैं।
प्रदेश के शासकीय विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन शुरू होने पर दुग्ध संघों के पास उपलब्ध दुग्ध चूर्ण स्कूलों में वितरित करवाया जायेगा। इसका प्रयोग हाल में विदिशा जिले में किया गया, जिसके बेहतर परिणाम सामने आये हैं। महासंघ ने कस्तूरबा गाँधी आवासीय बालिका छात्रावासों में दूध एवं दुग्ध पदार्थों की उपलब्धता के लिये राज्य शिक्षा केन्द्र से अनुबंध किया है। इस प्रकार कस्तूरबा गाँधी आवासीय छात्रावासों में साँची दूध और दूध से बनाये गये उत्पाद उपलब्ध हो सकेंगे।
विगत वर्ष दुग्ध संघों द्वारा लगभग 2500 मीट्रिक टन स्किम्ड मिल्क प्रोडक्ट (एस.एम.पी.) और 2000 मीट्रिक टन सफेद मक्खन का उपयोग किया गया है। इसको देखते हुए इस साल भी गुणवत्ता एवं मानक युक्त दूध उपभोक्ताओं को उपलब्ध करवाने के निर्देश दुग्ध महासंघ द्वारा दिये गये हैं।