भोपाल, जनवरी 2015/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भारत योजना आयोग की जगह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्थापित किये गये नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफार्मिंग इंडिया (नीति) आयोग के गठन से भारत के रूपांतरण की विकास प्रक्रिया में सही अर्थों में संघीय ढाँचे की नींव रखी गई है। श्री चौहान ने अपने ब्लाग और ट्विटर में कहा कि यह आयोग भारत की विकास संबंधी चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने में काफी मददगार होगा।
एक जनवरी 2015 की नई सुबह भारत ने सहकार और लोकतांत्रिक मूल्यों आधारित विकास के नये युग में आँखें खोली हैं। यह युग प्रवर्तक परिवर्तन भारत योजना आयोग के स्थान पर बनाये गये नेशनल इंस्टीट्यूट फार ट्रांसफार्मेटिंग इंडिया के रूप में आया है।
श्री चौहान ने कहा कि वर्ष 1952 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत के चहुँमुखी विकास के लिए जिस योजना आयोग का गठन किया था, वह उस दौर की परिस्थितियों और आवश्यकताओं के संदर्भ में ठीक था। आजादी के बाद देश का जो विकास हुआ उसमें आयोग द्वारा बनाई गई पंचवर्षीय योजनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही। विकास के नियोजन और योजनाओं के निर्माण तथा क्रियान्वयन में योजना आयोग ने काफी हद तक अच्छा काम किया। लेकिन बीते कुछ दशक में, विशेष कर 1991 में आर्थिक उदारीकरण के बाद योजना आयोग के वर्तमान स्वरूप के अस्तित्व की प्रासांगिकता लगातार खत्म होती चली गई। लोकतंत्र में विभिन्न प्रदेश में अलग-अलग राजनैतिक दलों की सरकारें होती हैं। यह बात लगातार महसूस की जा रही थी कि केन्द्र में सत्ताधारी दल के राजनैतिक हितों के संवर्धन में आयोग के राज्यों के साथ राजनैतिक आग्रह, पूर्वाग्रह और दुराग्रह सहायक होने लगे थे। धनराशि के आवंटन में इसी कारण राज्यों के साथ भेदभाव की बात तीव्रता से महसूस की जा रही थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना आयोग की कार्य-प्रणाली में लोकतांत्रिक भावना का अभाव हो गया था। योजना निर्माण की प्रक्रिया में राज्यों और उनके मुख्यमंत्रियों के साथ होने वाली चर्चा रस्मी हो गई थी। योजनाएँ केन्द्र से बनाकर राज्यों को भेजी जा रही थीं। इनमें राज्यों की भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक, एतिहासिक और सांस्कृतिक विशिष्टताओं का ध्यान नहीं रखा जाता था। इसी कारण योजनाओं का वांछित लाभ आम लोगों को नहीं मिल पा रहा था। उन्होंने लगातार यह बात अनेक मंचों से कही कि जिस तरह हर मर्ज की एक दवा नहीं हो सकती उसी तरह हर राज्य के लिए एक समान योजना नहीं हो सकती। केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं के विषय में यह बात ज्यादा लागू होती है।
नई सोच वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योजना आयोग के स्थान पर जो नीति आयोग बनाया है उसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसका गठन सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ विचार-विमर्श और उनके सुझाव लेकर किया गया है। इसकी गवर्निंग काउंसिल में सभी मुख्यमंत्रियों और केन्द्र शासित प्रदेशों के उप राज्यपालों को जगह मिली है। इससे राज्यों के विकास को नई दिशा और गति मिलेगी।
नई व्यवस्था की एक और विशेषता यह है कि राज्यों के बीच उलझे हुए मुद्दों के समाधान के लिए इसमें क्षेत्रीय परिषदों का गठन किया गया है। इसके कारण अब विकास में बाधक बनने वाले मुद्दों का तेजी से समाधन हो सकेगा और राज्य अपना विकास करते हुए राष्ट्र के विकास में अधिक सक्रियता और तत्परता से योगदान कर सकेंगे।
नई व्यवस्था में ग्राम स्तर पर योजनाएँ तैयार करने की पहल बहुत महत्वपूर्ण है। मध्यप्रदेश में उन्होंने यह काम पहले ही कर लिया है। प्रदेश के गाँवों के विकास के लिए मास्टर प्लान ग्रामीणों के सुझाव, सहमति और भागीदारी से बनाये गये हैं। इनके क्रियान्वयन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। यह खुशी की बात है कि नया आयोग पूरे देश में इस प्रक्रिया को आगे बढ़ायेगा। इससे प्रत्येक गाँव में उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग करते हुए उनका ज्यादा तेजी से विकास संभव हो सकेगा।