भोपाल 18 जून। प्रदेश के निमाड़ और विन्ध्य कृषि जलवायु क्षेत्र में अनार की खेती की असीम संभावनाएँ हैं। हमारे देश में अनार पुरातन-काल से पाया जाता है। वैज्ञानिक इसका प्रमाण एकत्रित करें। यह विचार किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने आज प्रदेश में ”उद्यानिकी को लाभकारी बनाने का नया विकल्प अनार की खेती को प्रोत्साहन” विषय पर आधारित सेमीनार में व्यक्त किए।
डॉ. कुसमरिया ने कहा कि सेमीनार के माध्यम से नई-नई तकनीक और तथ्यात्मक जानकारी सामने आयेंगी। उन्होंने कहा कि दिनों-दिन बढ़ रहे वायु और जल-प्रदूषण से हमारे खान-पान में अशुध्दता आ रही है। अनार व्यक्ति के स्वास्थ्य को ठीक करने में काफी मददगार होता है। आज किसान अपनी परम्परागत खेती से ज्यादा लाभ नहीं ले पा रहा है। इसके लिए उसे उद्यानिकी, दुग्ध व्यवसाय को अपनाना होगा, तभी उसे खेती में मुनाफा हो सकेगा।
किसान-कल्याण मंत्री ने कहा कि प्रदेश में 11 कृषि जलवायु क्षेत्र निर्धारित किए गए हैं। इनमें निमाड़ प्लेट के खण्डवा, खरगोन, कुक्षी, मनावर और विन्ध्य प्लेटों के भोपाल, सीहोर, रायसेन, गुना, विदिशा, सागर और दमोह अनार की खेती के लिए उपयुक्त हैं। अनार की खेती में रासायनिक खादों का उपयोग न कर जैविक खाद का इस्तेमाल करना होगा। डॉ. कुसमरिया ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं अनार की खेती को बढ़ावा देने में रुचि ले रहे हैं।
अपर मुख्य सचिव-सह-कृषि उत्पादन आयुक्त श्री एम.एम. उपाध्याय ने कहा कि अनार की खेती को प्रोत्साहन की रणनीति बनाने के लिए सेमीनार किया गया है। इस वर्ष अनार की खेती के लिए 10 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मध्यप्रदेश राज्य उद्यानिकी मिशन के संचालक श्री अनुराग श्रीवास्तव ने भी सेमीनार को संबोधित किया।
इस अवसर पर वैज्ञानिक डॉ. बीरबल, जोधपुर राजस्थान, डॉ. के.ए. मराठे, सोलापुर महाराष्ट्र, डॉ. ज्योत्सना शर्मा और डॉ. जी.के. मुकुन्द, बैंगलुरु आदि उपस्थित थे।