भोपाल, नवंबर 2012/ मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग निजी स्कूलों की शिक्षिकाओं और महिला स्टॉफ के शोषण को रोकने के लिए और बाछड़ा-बेड़िया समाज की महिलाओं के लिए दो पृथक-पृथक समितियों का गठन करेगा। यह जानकारी राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती उपमा राय ने आज यहाँ आयोग की नीतिगत बैठक में दी। आयोग ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा गत 19 नवम्बर को बालिकाओं के लिए 24 x 7 हेल्प लाइन प्रारंभ करने और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और अन्य तरह का उत्पीड़न करने वाले अपराधियों का डाटा बेस तैयार कर उन्हें तमाम सरकारी सुविधाओं से वंचित करने की घोषणा का स्वागत भी किया।

श्रीमती उपमा राय ने प्रदेश के 1000 थानों में ‘सेफ किट’ की अनिवार्य उपलब्धता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इससे दुष्कर्म की शिकार महिला का तत्काल मेडिकल परीक्षण करवाकर उसे न्याय दिलाने में आसानी होगी। आयोग ने पीड़िता की मदद के लिए राज्य के प्रत्येक जिले में एक-एक मेडिकल बोर्ड गठन की भी अनुशंसा की। बैठक में अपहरण, ह्यूमन ट्रेफिकिंग, सभी विभाग में संविदा नियुक्ति वाली महिला कर्मचारियों को 180 दिन का मातृत्व अवकाश का लाभ देने, पीड़ित महिला जिस थाने में पहुँचे उसी थाने में रिपोर्ट दर्ज करने, पीड़ित महिला की रिपोर्ट में ‘आदी’ (हेबिच्युअल) शब्द का प्रयोग न कर मात्र उसके साथ हुई दुर्घटना का ही उल्लेख करने, थानों में पीड़ित महिला के अधिकारों की जानकारी बोर्ड पर प्रदर्शित करने, जेल के बाद महिला कैदियों की पुनर्स्थापना, अनुसूचित-जाति, जनजाति छात्रावासों की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए औचक निरीक्षण पर चर्चा की गई।

आयोग की सदस्य सुश्री ज्योति येवतीकर, श्रीमती शशि सिन्हो, श्रीमती स्नेहलता उपाध्याय, श्रीमती वंदना मंडावी और सुश्री कविता पाटीदार ने भी अपने सुझाव दिए। सदस्यों ने महिला जेल में संख्या से अधिक कैदी न रखने, महिला अस्पतालों में बेहतर साफ-सफाई, अवयस्क पीड़िता के संबंध में माता-पिता की सहमति की अनिवार्यता समाप्त करने, अस्पतालों से बच्चा चोरी रोकने के पुख्ता इंतजाम आदि पर विस्तृत चर्चा कर अनेक अनुशंसाएँ पारित की। पारित अनुशंसाओं को अग्रिम कार्यवाही के लिए राज्य शासन को भेजने का निर्णय लिया गया।

बैठक में आयोग की सदस्य के अलावा अपर मुख्य सचिव, गृह इन्द्रनील शंकर दाणी, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव जेल जे.टी. एक्का, अनुसूचित-जाति आयुक्त, जे.एन. मालपानी और स्वास्थ्य, विधि-विधायी, अनुसूचित जनजाति, महिला-बाल विकास आदि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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