भोपाल, दिसम्बर 2014/ मध्यप्रदेश में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में तीन अंक की महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई है। जहाँ राष्ट्रीय स्तर पर नवजात शिशु मृत्यु दर में एक अंक और बाल मृत्यु दर में तीन अंक की गिरावट दर्ज की गई है वहीं मध्यप्रदेश में नवजात शिशु मृत्यु दर में 3 अंक की गिरावट और बाल मृत्यु दर में 4 अंक की गिरावट उल्लेखनीय है।

रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया, नई दिल्ली द्वारा जारी एसआरएस बुलेटिन 2013 के अनुसार मध्यप्रदेश में नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाइयों के संचालन से ऐसे बच्चों की जिंदगी बचाने में कमयाबी मिली है जो या तो गंभीर रूप से बीमार थे या समय पूर्व जन्में थे या फिर कम वजन के थे। इन इकाइयों के जरिए अब तक 2 लाख 86 हजार से अधिक नवजात शिशुओं को उपचार प्रदान किया गया। लगभग 2.5 लाख नवजात बच्चों का जीवन बचाने में सफलता प्राप्त हुई है। राज्य में लगभग 50 हजार बच्चों को प्रत्यक्ष तौर पर असामयिक मृत्यु से बचाने का कार्य हुआ है। इस वर्ष जन्म से 24 घंटे के भीतर बचाए गए बच्चों की संख्या 21 हजार और 5 वर्ष तक की आयु के बच्चों की संख्या 29 हजार है।

मध्यप्रदेश में इस वर्ष प्रारंभ ममता अभियान के बाद आने वाले वर्षों में बच्चों और माताओं की असमय मृत्यु को कम करने में और अधिक सफलता प्राप्त होगी। भारत सरकार ने न्यू बोर्न एक्शन प्लान के अनुसार नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए जो मापदंड आवश्यक माने हैं उनमें प्रसव और शिशु जन्म के दौरान गुणवत्तापूर्ण देखभाल महत्वपूर्ण है। प्रदेश में इस पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा गंभीर रूप से रुग्ण और कमजोर शिशु की अच्छी देखभाल और ममता अभियान में सर्पोटिव सुपरविजन करते हुए राज्य स्तर पर नियमित मानीटरिंग की व्यवस्था की गई।

मध्यप्रदेश को स्वास्थ्य क्षेत्र में प्राप्त इस उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, मुख्य सचिव अन्टोनी डिसा और लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को बधाई दी है। मुख्य सचिव डिसा ने स्वास्थ्य योजनाओं को और गतिशील करने के निर्देश भी दिए हैं। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रवीर कृष्ण ने चिकित्सकों सहित समस्त स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता और टीम हेल्थ के सदस्यों को बधाई देते हुए बच्चों और माताओं के स्वास्थ्य की और बेहतर देखभाल के लिए सक्रिय भूमिका निभाते रहने की अपेक्षा की है।

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