भोपाल, अक्टूबर  2014/ मध्‍यप्रदेश मंत्रि-परिषद् ने नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग की नीतियों में राजस्व भूमि के उपयोग की अनुमति एवं निष्पादन गारंटी के प्रावधानों में किये गये संशोधनों का अनुसमर्थन किया है।

संशोधन के अनुसार परियोजना में उपयोग की जाने वाली राजस्व भूमि उपयोग की दर परियोजना के लिये चिन्हित भूमि की अनुबंध तिथि पर प्रचलित असिंचित भूमि के लिये निर्धारित कलेक्टर दर के 50 प्रतिशत के बराबर होगी। विकासक निर्धारित भूमि उपयोग दर को 5 सामान्य वार्षिक किश्त में जमा कर सकेगा। विकासक की माँग पर परियोजना के अन्य अनुषांगिक उपयोग के लिये भूमि उपयोग की अनुमति दी जा सकेगी। भूमि उपयोग की अनुमति की अवधि सौर और पवन ऊर्जा के लिये 25-25 वर्ष, बायोमास आधारित परियोजनाओं के लिये 20 वर्ष और लघु जल परियोजनाओं के लिये 35 वर्ष अथवा इन तकनीकों की परियोजना अवधि, जो भी पहले हो, होगी।

विभाग की पवन ऊर्जा, बायोमास आधारित विद्युत उत्पादन एवं लघु जल विद्युत ऊर्जा नीतियों में दूसरे चरण निष्पादन गारंटी उन परियोजनाओं को नहीं दी जायेगी, जहाँ विद्युत का क्रय मध्यप्रदेश पॉवर मेनेजमेंट कम्पनी द्वारा किया जा रहा हो। सौर ऊर्जा नीति में प्रावधानिक निष्पादन गारंटी 5 लाख प्रति मेगावॉट के स्थान पर एक लाख प्रति मेगावॉट देय होगी।

मंत्रि-परिषद् ने मेसर्स जयप्रकाश एसोसिएट लिमिटेड को सतना जिले की मझगवां तहसील के ग्राम भरगवां में स्वीकृत खनि पट्टा की भूमि के समतुल्य राजस्व भूमि वन विभाग को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया। यह हस्तांतरण वर्ष 2014-15 के लिये सामान्य क्षेत्र में कलेक्टर द्वारा निर्धारित सिंचित कृषि भूमि की प्रति एकड़ गाइडलाइन की दर से 1.6 गुना राशि शासकीय कोष में जमा करने पर होगा। इसके अलावा हंस्तारित भूमि पर वैकल्पिक वृक्षारोपण के लिये आने वाले व्यय की राशि एवं वन विभाग के नियम के अनुसार देय अन्य प्रभार की राशि कम्पनी द्वारा वन विभाग को जमा की जायेगी।

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