इंदौर, अक्‍टूबर 2012/ तीन दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दूसरे दिन आज यहाँ निवेशकों ने ऊर्जा नीति को पसंद करते हुए खुले दिल से नीति के संबंध में अपना पक्ष रखा। आज इस क्षेत्र में 19 हजार 369 करोड़ के एमओयू किये गये। देश एवं विदेश के कई निवेशकों द्वारा मध्यप्रदेश शासन के साथ एमओयू किये गये। मुख्यतः सोलर, विण्ड, लघु जल, ऊर्जा एवं बायोमॉस ऊर्जा के क्षेत्र में एमओयू हस्ताक्षरित हुए।

नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री अजय विश्नोई और ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष बृजेन्द्र सिंह सिसोदिया से निवेशकों की चर्चा में मध्यप्रदेश में बायोमॉस ऊर्जा में 1400 मेगावॉट, पवन ऊर्जा में 3000 मेगावॉट, लघु जल ऊर्जा में 410 मेगावॉट और सौर ऊर्जा क्षेत्र में वर्ष 2014 तक 2000 मेगावॉट की क्षमता उत्पादित होने की संभावनाओं के बारे में बताया गया। इसी तरह प्रदेश के 8 जिलों में 5.6 से 6.2 kwh/sqm/day सौर किरणों की उपलब्धता की जानकारी दी गई। यह उपलब्धता देश में सबसे अधिक बतायी गयी। चर्चा में नीमच में देश के ही नहीं वरन् एशिया के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना की भी जानकारी दी गयी, जो 130 मेगावॉट सौर विद्युत का उत्पादन करेगा।

नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के सचिव एस.आर. मोहन्ती ने बताया कि शासन द्वारा बनाई गई नीति के अनुसार भूमि के लिये सीधे विभाग को आवेदन करना होगा। विभाग निवेशकों को समस्त प्रकियाएँ कर भूमि उपलब्ध करवायेगा। श्री मोहंती ने बताया कि सौर ऊर्जा में 9,396 करोड़, पवन ऊर्जा में 8,687 करोड़, लघु जल ऊर्जा में 1,220 करोड़ और बायोमॉस क्षेत्र में 66 करोड़ रुपये के एमओयू हस्ताक्षरित किये गये हैं। इस क्षेत्र से वर्ष 2014 तक 2552 मेगावॉट ऊर्जा का उत्पादन होगा।

निवेशकों ने कहा कि मध्यप्रदेश में 2014 तक 6,800 मेगावॉट ऊर्जा का उत्पादन हो सकता है। सचिव श्री मोहंती ने कहा कि देवास में कार्यरत पवन चक्की की टर्बाइनों को जल्द ही बदला जायेगा, जिससे 50 मेगावॉट से अधिक की क्षमता बढ़ जायेगी।

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