नई दिल्ली, फरवरी 2013/ पीएचई मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने मध्यप्रदेश में नल-जल प्रदाय योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिये केन्द्र से मिलने वाली 50 प्रतिशत राशि को बढ़ाकर 75 प्रतिशत किये जाने की बात कही है। उन्होंने फ्लोराइड प्रभावित बसाहटों में गुणवत्तापूर्ण पेयजल व्यवस्था के लिये भी केन्द्र सरकार से आर्थिक सहायता दिये जाने की बात कही है। श्री बिसेन नई दिल्ली में राज्यों के पेयजल मंत्रियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। यह बैठक केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता राज्य मंत्री भरत सिंह माधव सिंह सोलंकी की अध्यक्षता में हुई।
श्री बिसेन ने कहा कि क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्यप्रदेश भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। आबादी के हिसाब से प्रदेश में एक लाख 27 हजार बसाहटें हैं। वर्तमान में इन बसाहट में हेण्ड-पम्प अथवा कुओं के माध्यम से तथा बड़े गाँव में नल-जल प्रदाय योजना के माध्यम से पेयजल व्यवस्था की जा रही है। प्रदेश में 5 लाख हेण्ड-पम्प एवं 10 हजार नल-जल प्रदाय योजना हैं। इनके माध्यम से 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के मापदण्ड के अनुसार 70 प्रतिशत बसाहट में पेयजल उपलब्ध करवाया जा रहा है। बड़ी संख्या में एकल एवं समूह नल-जल प्रदाय योजना के क्रियान्वयन के लिये मध्यप्रदेश जल निगम का गठन कर लिया गया है। निगम द्वारा 750 करोड़ रुपये की 27 समूह योजना क्रियान्वित की जा रही हैं। प्रदेश में 12वीं पंचवर्षीय योजना में समूह नल-जल योजना के विस्तार के लिये निजी वित्तीय संस्थाओं से 4 हजार करोड़ के ऋण लेने की योजना भी तैयार की गई है।