भोपाल, जुलाई 2014/ राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा नगर पालिकाओं के निर्वाचन में मतदाताओं की पहचान स्थापित करने के लिये पीठासीन अधिकारी अथवा उसके द्वारा प्राधिकृत अधिकारी मतदाता से आयोग द्वारा निर्धारित 18 दस्तावेज में से कोई भी एक दस्तावेज माँग सकता है। यदि मतदाता कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत करने में असफल रहता है, तो पीठासीन अधिकारी स्थानीय शासकीय विद्यालय के शिक्षक, उपलब्ध किसी शासकीय कर्मचारी अथवा किसी प्रतिष्ठित स्थानीय निवासी से उसकी पहचान स्थापित करवाने के बाद, उसे मत देने के लिये अधिकृत कर सकता है।
सचिव राज्य निर्वाचन अधिकारी जी.पी. श्रीवास्तव ने जानकारी दी है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदाय किया गया मतदाता पहचान-पत्र, राशन-कार्ड/नीला राशन-कार्ड/पीला राशन-कार्ड, बैंक/किसान/डाकघर पास-बुक, शस्त्र लाइसेंस, फोटोयुक्त सम्पत्ति दस्तावेज जैसे पट्टा, रजिस्ट्रीकृत विलेख आदि, विकलांगता प्रमाण-पत्र, निराश्रित प्रमाण-पत्र, पासपोर्ट, ड्राइविंग लायसेंस, आयकर पहचान-पत्र (पी.ए.एन. कार्ड), राज्य/केन्द्र सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, स्थानीय निकाय या अन्य निजी औद्योगिक संस्थानों द्वारा उनके कर्मचारियों को जारी किये जाने वाले सेवा पहचान-पत्र, छात्र पहचान-पत्र, सक्षम प्राधिकारियों द्वारा जारी अ.जा./अ.ज.जा./अन्य पिछड़ा वर्ग/अधिवासी प्रमाण-पत्र, पेंशन दस्तावेज जैसे कि भूतपूर्व सैनिक पेंशन अदायगी आदेश/भूतपूर्व सैनिक विधवा/आश्रित प्रमाण-पत्र, रेलवे पहचान-पत्र, स्वतंत्रता सेनानी पहचान-पत्र, फोटोयुक्त आधार-कार्ड और राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी फोटोयुक्त मतदाता-पर्ची पहचान दस्तावेज के रूप में मान्य की जायेगी।
कोई दस्तावेज जो परिवार के मुखिया के पास ही उपलब्ध होता है, परिवार के दूसरे सदस्यों की पहचान के लिये उपयोग की अनुमति दी जायेगी। इसी प्रकार से परिवार के किसी दूसरे सदस्य के नाम से कोई दस्तावेज अन्य सदस्यों की पहचान के लिये भी प्रयोग किया जा सकता है, बशर्ते ऐसे दस्तावेज के आधार पर दूसरे सदस्यों की पहचान की जा सकती है।