भोपाल, जनवरी 2015/ भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व को प्रदर्शित करने वाले दो वृत्त चित्र का प्रदर्शन नई दिल्ली स्थित मध्यप्रदेश भवन में किया गया। सामाजिक संस्था ‘समाधान” के प्रयासों से रखे गए इस बेहद, अनौपचारिक कार्यक्रम में पत्रकार और प्रबुद्धजन उपस्थित थे। दर्शकों ने वृत्त चित्र देखने के बाद फिल्म के लेखक-निर्देशक राकेश त्यागी से प्रश्न भी किए।
इन दोनों वृत्त चित्रों का निर्माण दूरदर्शन ने किया है। लेखक-निर्देशक राकेश त्यागी मध्यप्रदेश के शहर ग्वालियर से ही हैं। पहले वृत्त चित्र का शीर्षक ‘गीत नया गाता हूँ” था। इसमें बताया गया है कि श्री वाजपेयी पर रामायण, गीता के साथ-साथ स्वामी दयानंद सरस्वती की रचना सत्यार्थ प्रकाश के अलावा आनंद मठ और गुरूदेव रविंद्र नाथ टैगोर का भी प्रभाव था।
इस मौके पर मध्यप्रदेश की वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी अपर मुख्य सचिव अरूणा शर्मा भी उपस्थित थीं। दूरदर्शन की महानिदेशक रह चुकीं श्रीमती शर्मा ने फिल्म को सराहा और कहा कि कम अवधि में अधिक दृश्यों और बातों को रखने का बहुत अच्छा प्रयास किया गया है। श्री अटल बिहारी वाजपेयी के ग्वालियर के घर, स्कूल एवं कॉलेज को भी दिखाया गया है।
इक्कीस मिनट के दूसरे वृत्त चित्र ‘राष्ट्र नेता-राजनेता”, में दिखाया गया है कि किस तरह से श्री वाजपेयी ने दुनिया के दबाव की परवाह किये बिना पोखरन में परमाणु परीक्षण किया। इसमें श्री वाजपेयी को संसद के भीतर यह कहते हुए दिखाया गया है कि सुरक्षा के लिए परमाणु परीक्षण भी जरूरी था और कारगिल के बाद पड़ोसी पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाना भी। इससे उनके विराट व्यक्तित्व का पता लगता है। वृत्त चित्र में बताया गया है कि श्री वाजपेयी किस वजह से संसद की कार्यवाही बाधित किए जाने को पसंद नहीं किया करते थे। राजनैतिक विश्लेषक पुष्पेश पंत की टिप्पणी फिल्म में काबिले गौर है कि श्री वाजपेयी को भारत की खोज करने की जरूरत नहीं थी क्योंकि उनके व्यक्तित्व में भारत की मिट्टी की सुगंध रची-बसी है।