भोपाल, जून 2015/ कई वर्ष लंबी और संघर्षपूर्ण यात्रा के बाद अंततः नर्मदा 162 किलोमीटर लंबी दाँयी नहर में प्रवाहित होकर आदिवासी बहुल धार जिले की कुक्षी तहसील में अपने अंतिम लक्ष्य तक पहुँचने में सफल हो गई। साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का वह चिर-प्रतीक्षित स्वप्न भी पूरा हुआ, जो उन्होंने इस अंचल के किसानों के खेतों को नर्मदा के जल से सींचने का संजोया था। खण्डवा जिले में ओंकारेश्वर जलाशय से परियोजना की दाँयी मुख्य नहर 162.95 किलोमीटर लंबी है। यह नहर 128 किलोमीटर के बाद धार जिले में प्रवेश करती है। गत 15 जून को धार जिले की सीमा में प्रवेश के बाद आज नर्मदा जल ने कुक्षी तहसील में निसरपुर विकासखण्ड के ग्राम खण्डवा में नहर के अंतिम छोर तक पहुँचकर अपना लक्ष्य प्राप्त कर लिया।

धार जिले में लंबे समय से ओंकारेश्वर परियोजना नहर को सूखी देखते-देखते जिन किसानों की आँखें थक चुकी थीं, उन्होंने नहर में कल-कल बहती नर्मदा को देखा तो खुशी से झूम उठे। पूरे जिले में नहर के किनारे बसे गाँवों के लोगों ने नर्मदा का ढोल-ताशों और पूजा-पाठ के साथ उत्साह से स्वागत किया। एक हेक्टेयर से भी कम जोत का आदिवासी किसान ”वेस्ता” नहर में पानी देखकर पूरे आत्म-विश्वास से कहता है- ”अब नर्मदा से सारी समस्याओं का समाधान कर लूँगा”।

उल्लेखनीय है कि ओंकारेश्वर सिंचाई परियोजना की नहरों का निर्माण अनेक अवरोधों से गुजरकर पूरा हो सका। नहर निर्माण पूरा होने पर बाँध जलाशय को भरने पर भी विरोधी तत्वों ने अवरोध उत्पन्न किये। अंततः प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री श्री चौहान के दृढ़-संकल्प से आदिवासी बहुल धार जिले को नर्मदा जल की ऐतिहासिक और स्थायी सौगात मिल सकी।

परियोजना की कुल सिंचाई क्षमता 1 लाख 46 हजार 800 हेक्टेयर है। इसमें से धार जिले को 73 हजार हेक्टेयर सिंचाई का लाभ मिलेगा। आने वाले समय में इस पिछड़े और सिंचाई से वंचित जिले में कृषि के क्षेत्र में उत्पादन के कीर्तिमान बनेंगे। नर्मदा जल के धार जिले में अंतिम छोर तक पहुँचने पर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने धार जिले के किसानों को अपनी बधाई और शुभकामनाएँ दी हैं।

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