भोपाल, जनवरी  2015/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खरीफ विपणन वर्ष 2013-14 की उपार्जित धान की मिलिंग के लिए मिलिंग अवधि 31 मार्च 2015 तक बढ़ाने का अनुरोध किया है। इस संबंध में केन्द्रीय खाद्य, सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री ने कहा है कि वर्ष 2013-14 और वर्ष 2014-15 की उपार्जित धान की मिलिंग के बाद प्राप्त होने वाले चावल से राज्य की मार्च 2016 तक की सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं अन्य योजनाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकेगी।

मुख्यमंत्री ने पत्र में बताया कि मध्यप्रदेश में धान का उत्पादन वर्ष 2009-10 में 14 लाख मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2013-14 में बढ़कर 43 लाख मीट्रिक टन हो गया। इस वजह से प्रदेश के 337 राईस मिलर्स की सीमित मिलिंग क्षमता के कारण उपार्जित धान की मिलिंग केन्द्र शासन द्वारा निर्धारित समय-सीमा में नहीं हो पा रही है।

वर्ष 2013-14 में प्रदेश में 15.59 लाख मीट्रिक टन धान का उपार्जन किया गया था। सीमित मिलिंग क्षमता के कारण अब तक सिर्फ 9.44 लाख मीट्रिक टन धान की मिलिंग हो सकी है। शेष 6.08 लाख मीट्रिक टन की मिलिंग किया जाना शेष है। केन्द्र शासन से धान मिलिंग के लिए निर्धारित तिथि 31 दिसम्बर, 2014 को बढ़ाकर 31 मार्च, 2015 करने की अनुमति चाही गई थी। केन्द्र सरकार ने ऐसा करने से मना कर दिया।

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की योजनाओं में वितरण के लिए मात्र 1.94 लाख मीट्रिक टन चावल उपलब्ध है। मार्च 2016 तक 12.10 लाख मीट्रिक टन चावल की आवश्यकता होगी।

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