भोपाल, नवम्बर 2014/ प्रदेश में वर्तमान आवश्यकता और माँग के अनुरूप यूरिया आपूर्ति का कार्य निरंतर चल रहा है। चना, मसूर और मटर जैसी दलहनी फसलों में बोवनी के पश्चात यूरिया की जरुरत नहीं होती। इन फसलों की बोवनी का कार्य लगभग पूरा हो चुका है।
प्रमुख सचिव कृषि डॉ.राजेश राजौरा ने बताया कि प्रदेश में इस समय गेहूँ की बोवनी चल रही है। बोवनी के समय 12 :32 :16 अनुपात अथवा डीएपी का उपयोग करने पर यूरिया की आवश्यकता नहीं होती । बोवनी के 15 दिन पहले सुपर फास्फेट का उपयोग करने पर लगभग 100 किलोग्राम/हेक्टेयर यूरिया की आवश्यकता होती है। गेहूँ में बोवनी के बाद पहली सिंचाई अर्थात बोवनी के 20 से 25 दिन बाद 50 किलोग्राम/हेक्टेयर और दूसरी सिंचाई अर्थात बोवनी के 40 से 45 दिन के बाद 50 किलोग्राम/ हेक्टेयर यूरिया की आवश्यकता होती है।
प्रमुख सचिव ने बताया कि प्रदेश में सरसों फसल की बोवनी लगभग पूर्ण हो चुकी है। इसमें पहली सिंचाई अर्थात बोवनी के 35 से 40 दिन के बाद 90 किलोग्राम/हेक्टेयर यूरिया की आवश्यकता होती है। जहाँ से यूरिया की मांग प्राप्त हो रही है, वहाँ समुचित आपूर्ति की जा रही है।