भोपाल, जून 2015/ जल्द ही मध्यप्रदेश देश के बेम्बू केपिटल के नाम से जाना जायेगा। अगले तीन साल में प्रदेश को बाँस राज्य का दर्जा दिलवाने की एक विशेष योजना लागू करने की कार्यवाही की जा रही है। इसमें किसानों को उनके बाँस संसाधन का अधिकाधिक लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से 5 साल में सभी 51 जिले के 5 लाख किसान को 50 लाख भिर्रा (पौधा) वितरित कर 5 करोड़ बाँस वृक्ष लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

तीन दिनी देश के पहले बाँस इन्वेस्टर्स मीट के मंथन के बाद सरकार बाँस उत्पादन के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये बाँस आधारित उद्योग को विशेष दर्जा देते हुए उद्योग संवर्धन नीति-2014 के तहत 10 प्रतिशत अतिरिक्त (कुल 25 प्रतिशत) निवेश अनुदान तथा अधिकतम सीमा 25 लाख रुपये किया जायेगा। साथ ही 2 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज अनुदान का लाभ भी दिया जायेगा। बाँस उद्योग के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले उद्यमियों को हरसाल बाँस मित्र पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा।

प्रदेश में बाँस उद्योगों के संस्थागत विकास के लिये केन्द्र शासन के क्लस्टर विकास कार्यक्रम में नये बाँस उद्योग के क्लस्टर विकसित किये जायेंगे। इसके अलावा सभी बाँस बहुल जिलों में बाँस शिल्पकारों के लिये उत्कृष्ट बेम्बू फेसिलिटी सेंटर्स विकसित किये जायेंगे। साथ ही सभी शासकीय विभाग, विशेष रूप से पर्यटन तथा पर्यटन विकास निगम के होटलों तथा रिजार्टस में बाँस के उत्पाद और फर्नीचर का अधिक से अधिक इस्तेमाल सुनिश्चित होगा। विद्यालयों के फर्नीचर तथा इंदिरा आवास योजना में भी बाँस के इस्तेमाल की पहल की जा रही है।

बाँस निवेशक सम्मेलन में टिश्यू-कल्चर रोपण, शहरी क्षेत्र रोपण, सामाजिक वानिकी, पर्यावरण लाभ, बाँस की उप प्रजातियों की सतत एवं आसान पहुँच तथा आवश्यकतानुसार उपलब्धता सुनिश्चित करना, बाँस क्षेत्र में पालिसी तथा वैधानिक पहलू, बाँस उत्पादों एवं उपकरणों के व्यापार पर कराधान, सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम क्षेत्र में बाँस आधारित उद्यमिता की फायनेन्सिंग जैसे विभिन्न विषय पर चर्चा की गयी।

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