भोपाल, अक्टूबर 2014/ राज्य के तीन श्रम कानून में किये गये संशोधन प्रभावशील हो गये हैं। मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना अधिनियम, 1958, मध्यप्रदेश श्रम कल्याण निधि अधिनियम, 1982 तथा मध्यप्रदेश औद्योगिक नियोजन (स्थायी आज्ञाएँ) अधिनियम, 1961 में कतिपय संशोधन करते हुए राज्य सरकार ने 25 अक्टूबर 2014 को संशोधन अध्यादेश जारी कर दिया है। संशोधन, श्रमिक एवं उद्योग दोनों के हित में किए गए हैं।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा इन्दौर में संपन्न ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में विभिन्न श्रम कानून में श्रमिक हितों को दृष्टिगत रखते हुए निवेशकों के हित में प्रक्रियाओं को सरल बनाने की घोषणा की गई थी। इसी संदर्भ में यह अध्यादेश जारी किये गये हैं।
मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना (संशोधन) अध्यादेश 2014
इस अध्यादेश में प्रावधान किया गया है कि यदि किसी स्थापना द्वारा प्रस्तुत पंजीयन आवेदन पर निरीक्षक द्वारा कोई आपत्ति निर्धारित समय-सीमा में नहीं ली जाती है तो वह स्वयं जारी माना जायेगा। इसी तरह 10 से कम श्रमिक नियोजित करने वाले संस्थानों में बगैर श्रम आयुक्त की अनुमति के निरीक्षण नहीं किये जा सकेंगे। कानून में रखे जाने वाले रजिस्टर और प्रपत्रों को भी समेकित किया गया है जो अब कम्प्यूटराइज्ड फार्म में रखे जा सकेंगे। प्रावधानों के उल्लंघन के सामान्य प्रकरणों में प्रशमन शुल्क (कम्पाउंडिंग) जमा कर निराकरण के प्रावधान भी किये गये हैं। दुकान एवं स्थापनाओं में दुर्घटना से बचाव के लिए आग के अलावा अन्य सुरक्षा साधनों के भी उपाय किये जायेंगे।
मध्यप्रदेश औद्योगिक नियोजन (स्थायी आदेश) संशोधन अध्यादेश, 2014
इस अध्यादेश को 20 के स्थान पर 50 से अधिक श्रमिक वाले संस्थानों पर लागू किया गया है। यह सूक्ष्म उद्योगों पर लागू नहीं होगा। अधिनियम में प्रावधानों के उल्लंघन के सामान्य प्रकरणों में प्रशमन शुल्क (कम्पाउंडिंग) जमा कर निराकरण के प्रावधान भी किये गये हैं। यदि राज्य शासन मानक स्थायी आदेशों में कोई संशोधन करता है तो वह स्वत: सभी उपक्रम पर लागू माना जायेगा।
मध्यप्रदेश श्रम कल्याण निधि (संशोधन) अध्यादेश, 2014
अब यह प्रावधान किया गया है कि यह अधिनियम सूक्ष्म उद्योगों पर लागू नहीं होगा। साथ ही कानून में रखे जाने वाले रजिस्टर और प्रपत्रों को भी समेकित किया गया है जो कम्प्यूटराइज्ड फार्म में रखे जा सकेंगे।