भोपाल, दिसम्बर 2014/ इस साल के तानसेन संगीत समारोह की अंतिम संगीत सभा 15 दिसम्बर को प्रात: 10 बजे से संगीत सम्राट तानसेन की जन्म-स्थली बेहट में झिलमिल नदी के किनारे घनी अमराई के बीच सजेगी। सभा की शुरूआत साधना संगीत कला केन्द्र और तानसेन स्मारक ध्रुपद केन्द्र बेहट के ध्रुपद गायन से होगी। सभा में श्री अश्विनी मोरधोड़े ग्वालियर का गायन और श्री अरूण धर्माधिकारी एवं श्री जगत नारायण शर्मा ग्वालियर की तबला और पखावज पर जुगलबंदी होगी। इसके बाद श्री विलास मंडपे ग्वालियर का शास्त्रीय गायन होगा।
गान मनीषी तानसेन की समाधि परिसर में आयोजित हो रहे इस साल के तानसेन समारोह में रागदारी प्रदर्शनी भी संगीत रसिकों के लिये आकर्षण का केन्द्र बनी रही। प्रदर्शनी में आलमनामा और हरिकथा से संबंधित एक से एक सुंदर छायाचित्र सजाए गए हैं।
तानसेन संगीत समारोह की 90 वर्ष पुरानी परम्परा के अनुरूप इस वर्ष 12 दिसम्बर की संध्या में तानसेन समारोह की प्रथम संगीत सभा का शुभारंभ ध्रुपद गायन तथा पंडित प्रभाकर कारेकर मुंबई के सम्मान से हुआ। दूसरी एवं तीसरी संगीत सभा में सुश्री संहिता नंदी ने ‘बैरागी’ में ख्याल, सुश्री अनुप्रिया देवताले ने राग ‘बसंत बुखारी’, उदय भावलकर ने राग ‘वृन्दावनी सारंग’ तथा पटियाला के सरदार अलंकार सिंह ने राग ‘शुद्ध सारंग’ की प्रस्तुति कर संगीत प्रेमियों को मंत्र-मुग्ध कर दिया। आज चौथी संगीत सभा में सुश्री गीतिका उमड़ेकर मसूरकर ने राग ‘देव गंधार’, इंदौर के सुप्रसिद्ध बीनकार उस्ताद जाहिद खां और जनाब नासिर देसाई ने सुर बहार की जुगलबंदी से सम्पूर्ण प्रांगण को मधुर संगीत से गुंजायमान कर दिया।