भोपाल, सितम्बर 2014/ महिला-बाल विकास मंत्री माया सिंह ने जेण्डर बजटिंग की अवधारणाओं को गैर-सरकारी संस्थाओं में भी लागू करने को कहा है। कहा कि जब तक समाज के हर स्तर पर हम महिलाओं के प्रति संवेदनशील नहीं होंगे, तब तक हमें अपेक्षित परिणाम नहीं मिलेंगे। श्रीमती सिंह ‘मध्यप्रदेश जेण्डर संवेदी बजटिंग सुदृढ़ीकरण’ सेमिनार में बोल रही थीं। सेमिनार में भारत, भूटान एवं मालद्वीप में यू.एन. वूमेन की प्रतिनिधि सुश्री रिबेका रिचमेन ने कहा कि जेण्डर बजटिंग के मामले में मध्यप्रदेश देश का रोल मॉडल है। यहाँ देश में सबसे पहले जेण्डर रेस्पांसिव बजट व्यवस्था लागू की गई।
महिला-विकास मंत्री ने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2007 में सबसे पहले जेण्डर रेस्पांसिव बजट बनाने की शुरूआत हुई। यही नहीं मध्यप्रदेश दूसरा राज्य है जहाँ विधानसभा में जेण्डर बजट पेश किया जाता है। महिला नीति और दृष्टि-पत्र में जेण्डर रेस्पांसिव बजट के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया गया है। सरकार ने जेण्डर बजटिंग व्यवस्था में वर्ष 2007-08 में 7593 करोड़ का प्रावधान किया था, जो वर्ष 2013-14 में बढ़कर 26 हजार 233 करोड़ हो गया। यह इस बात का द्योतक है कि सरकार इस व्यवस्था के लिये कितनी प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था का एकमात्र लक्ष्य प्रदेश की आधी आबादी को मुख्य धारा से जोड़ना है।
श्रीमती सिंह ने कहा कि जेण्डर बजटिंग की अवधारणा में महिला को सिर्फ हितग्राही नहीं माना जाना चाहिये। इस सोच में यह शामिल हो कि महिलाओं को इसके जरिये आर्थिक, सामाजिक सांस्कृतिक और राजनीतिज्ञ रूप से इतना सक्षम बनाना है कि वे समाज और सरकार में निर्णय लेने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी निभा सकें। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महिलाओं-बच्चों के प्रति अति संवेदनशील हैं। वे इस प्रदेश से महिलाओं के प्रति असमानता की व्यवस्था को समाप्त करना चाहते हैं। महिलाओं को सम्मान, सुरक्षा मिले यह उनका लक्ष्य है।
महिला-बाल विकास मंत्री ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी और गर्व है कि सरकार ने महिलाओं के प्रति ऐसी रणनीति बनाकर उसे क्रियान्वित किया है कि बच्ची जन्म के पूर्व से लेकर वृद्धावस्था तक उसके साथ संबल बनकर खड़ी रहे। उन्होंने लाड़ली लक्ष्मी योजना सहित अन्य योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि महिलाओं में नेतृत्व क्षमता का विकास हो, इसके लिये पंचायत एवं स्थानीय संस्थाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। श्रीमती सिंह ने सेमीनार को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे निश्चित ही जेण्डर बजटिंग प्रक्रिया को कारगर बनाने के साथ ही महिला केन्द्रित योजनाओं के लिये अधिकाधिक राशि का प्रावधान विभिन्न विभाग के बजट में किया जा सकेगा।
यू.एन. वूमेन की प्रतिनिधि रिबेका रिचमेन ने कहा कि महिला सशक्तीकरण के लिये जेण्डर रेस्पांसिव बजट का क्रियान्वयन जरूरी है।