भोपाल, अगस्त 2014/ केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से प्रदेशों को होने वाली संभावित दिक्कतों के संबंध में लिखे गये पत्र के जवाब में कहा है कि जीएसटी लागू करते समय राज्यों के हितों का पूरा ध्यान रखा जायेगा। श्री जेटली ने कहा कि केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने मध्यप्रदेश द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं और सुझावों पर गंभीरता से ध्यान दिया है और जीएसटी व्यवस्था को अंतिम स्वरूप देते समय उन्हें अमल में लाया जायेगा।

श्री जेटली ने बताया कि पुनरीक्षित प्रारूप में प्रस्तावित जीएसटी काउंसिल का स्वरूप अनुशासनात्मक होगा और इससे राज्य विधानसभाओं की स्वायत्ताओं पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ेगा। केन्द्र सरकार द्वारा रेवेन्यू न्यूट्रल रेट पर फार्मूला तैयार किया जा रहा है, जिससे राज्यों को राजस्व हानि नहीं होगी। इसके अलावा पुनरीक्षित प्रारूप में राज्यों को फ्लोर रेटस पर बेण्ड के रूप में दो-तीन प्रतिशत कर लगाने के अधिकार दिये जा रहे हैं। जिससे राज्यों को यदि कोई राजस्व हानि होती है, तो उसकी पूर्ति हो जायेगी। केन्द्र सरकार राज्यों को होने वाली राजस्व हानि की प्रतिपूर्ति के लिये प्रतिबद्ध है।

श्री जेटली ने बताया कि केन्द्र सरकार ने जीएसटी नेटवर्क के नाम से एक स्पेशल पर्पज व्हीकल स्थापित किया है, जो वस्तुओं और सेवाओं के अंतर्राज्यीय व्यापार में सूचना प्रौद्योगिकी संरचना और सेवा उपलब्ध करवायेगा। जीएसटी नेटवर्क में आयात करने वाले राज्यों को समय पर धनराशि का भुगतान करने पर भी ध्यान दिया जायेगा।

सशक्त समिति ने सप्लाय नियमों का प्रारूप तैयार करने के लिये एक समिति गठित की है, जो शीघ्र ही अपनी रिपोर्ट देगी। सशक्त समिति ने दोहरे नियंत्रण, छूट आदि संबंधी मुद्दों पर विचार के लिये भी एक समिति का गठन किया है।

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