भोपाल, सितम्बर  2014/ राज्य शासन ने समस्त कलेक्टरों से उनके जिलों की शासकीय शालाओं में शौचालय के संबंध में जानकारी माँगी है। कलेक्टर एवं मिशन संचालक, जिला शिक्षा केन्द्र को लिखे पत्र में जिले की शासकीय शालाओं में शौचालय की आवश्यकता का आंकलन करने को कहा गया है। किसी परिसर में एक से अधिक शालाएँ लगने तथा वहाँ पूर्व से शौचालय उपलब्ध होने पर अन्य शाला में शौचालय की आवश्यकता की गणना न किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।

जिलों को शालाओं में पृथक-पृथक बालक-बालिका शौचालयों की आवश्यकता का आंकलन कर निर्धारित प्रपत्र में जानकारी भेजने को कहा गया है। प्रपत्र में संसदीय/विधानसभा क्षेत्र का नाम, शाला का प्रकार, बालक-बालिकाओं की दर्ज संख्या, कुल शौचालयों की आवश्यकता, शाला में उपलब्ध तथा अनुपलब्ध शौचालय की जानकारी मँगाई गई है। इसी तरह मरम्मत योग्य शौचालयों की पृथक प्रपत्र में पूर्ति कर भेजने को कहा गया है। उसमें भी अन्य जानकारी के अलावा मरम्मत योग्य एवं पुनर्निर्माण की आवश्यकता वाले शौचालय, मरम्मत का प्रकार तथा मरम्मत के लिये आवश्यक राशि की विस्तृत जानकारी माँगी गई है। मरम्मत के प्रकार में छत, दरवाजा, फर्श, प्लास्टर, बिजली, सेप्टिक टेंक, डब्ल्यू.सी. सीट आदि की जानकारी देना होगी।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा समस्त शालाओं में बालक-बालिकाओं के लिये पृथक-पृथक शौचालय की व्यवस्था संबंधी घोषणा के परिप्रेक्ष्य में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा समीक्षा बैठक में सभी शालाओं में शौचालयों की आवश्यकता का आंकलन कर जानकारी चाही गई थी। जिलों को यह जानकारी राज्य शिक्षा केन्द्र के निर्माण कक्ष के ई-मेल के माध्यम से भेजने को कहा गया था।

उल्लेखनीय है कि शाला भवन और उसमें शौचालय तथा पेयजल की मूलभूत व्यवस्था राज्य सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। प्रदेश में शिक्षा के लोक-व्यापीकरण के लिये चल रहे राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान में 4178 विद्यालय में 28 हजार 925 निर्माण कार्य स्वीकृत किये गये हैं। इन कार्य में प्रयोगशाला, पुस्तकालय, पेयजल के अलावा शौचालय की व्यवस्था भी शामिल है। इसी तरह सर्वशिक्षा अभियान में 83 हजार 515 शौचालय के निर्माण स्वीकृत किये गये हैं। राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार को अधोसंरचना सुदृढ़ीकरण का जो प्रस्ताव भेजा गया है, उसमें 7370 शासकीय शाला में से 4088 में शौचालय होने की जानकारी दी गई है।

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