भोपाल, जनवरी 2015/ राज्य शासन ने वार्षिक कार्य-योजना 2015-16 में शामिल करने के लिये जिलों से मरम्मत योग्य शौचालयों के प्रस्ताव माँगे हैं। इस संबंध में सभी जिला कलेक्टर को स्कूलों के मरम्मत योग्य शौचालयों के मेजर/माइनर रिपेयर्स के प्रस्ताव भेजने को कहा गया है। यदि जिले द्वारा प्रस्ताव नहीं भेजे जाते तो इसकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी जिला परियोजना समन्वयक की होगी। यह समझा जायेगा कि जिले में मरम्मत योग्य शौचालय नहीं है।
वर्तमान में वार्षिक कार्य-योजना 2015-16 तैयार की जा रही है। इसमें जिले द्वारा चिन्हांकित मरम्मत योग्य शौचालय के सभी प्रस्ताव को मेजर/माइनर रिपेयर्स में शामिल किया जा रहा है। यह सभी जिलों के लिये अनिवार्य गतिविधि है। सहायक यंत्री/उप यंत्री द्वारा शाला में पूर्व से बने शौचालय के निरीक्षण के बाद जरूरी मरम्मत का कार्य प्रस्तावित किया जाना है। प्रस्तावित कार्यों के अलग-अलग प्राक्कलन फोटो सहित भारत सरकार की निर्धारित गाइड-लाइन के आधार पर तैयार किये जाना है। प्रस्ताव में शौचालय के निर्माण के वर्ष का उल्लेख अवश्य होना चाहिये। मेजर मरम्मत की लागत नये शौचालय की लागत का 60 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिये। शौचालय के मरम्मत योग्य कार्य के न्यूनतम 3 विभिन्न कोण से लिये गये रंगीन छायाचित्र भी प्रस्ताव के साथ लगाना होगा। शाला प्रबंध समिति एवं तकनीकी अधिकारी की संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट भी प्रस्ताव के साथ भेजने को कहा गया है। तैयार प्राक्कलन की सक्षम अधिकारी से तकनीकी स्वीकृति भी करवाना होगी।
प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुसार प्रदेश की सभी शाला में बालक-बालिकाओं के लिये अलग-अलग शौचालय उपलब्ध करवाये जाना है। शौचालय उपलब्ध करवाये जाने के लिये उसकी आवश्यकता, मरम्मत योग्य शौचालय का आकलन जिले द्वारा किया जा चुका है। इसी के अनुरूप प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये गये हैं।