भोपाल, जुलाई 2014/ राज्यपाल राम नरेश यादव ने यहाँ विज्ञान संवाद का शुभारंभ करते हुए कहा कि जल ही जीवन है, इस बात को ध्यान में रखकर जल-संरक्षण और संवर्धन के लिए गहन चिंतन, मनन और मंथन की आवश्यकता है। वर्तमान में आवास और सड़क निर्माण योजनाएँ बनाते समय जल की निकासी और जल-स्रोतों तक पानी पहुँचने में रुकावट न आये इसकी समुचित व्यवस्था करना चाहिए। कार्यक्रम, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद, एनआईटीटीटीआर, डब्लू डब्लू एफ तथा एनएसएस द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इस मौके पर टेक्निकल एडवाइजर कमेटी (जल-स्रोत) के चेयरमेन प्रो जी.एस. रूढवाल, सदस्य सचिव डॉ. पाम्पोष कुमार और एनआईटीटीटीआर के डायरेक्टर प्रो वी.के. अग्रवाल उपस्थित थे।

राज्यपाल ने कहा कि अनुसंधान और शोध को गति दी जाए। शोधकर्ता छात्रों की आर्थिक और अन्य समस्याओं को तेजी से हल कर उन्हें हरसंभव सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जाएं। युवा वैज्ञानिक और छात्र-छात्राएं ज्ञान के साथ चरित्र और नैतिक मूल्य भी जीवन में उतारें।

मुख्य अतिथि डॉ. जी.एस. रूढ़वाल ने कहा कि जल-संरक्षण और संवर्धन के लिए जन- जागरूकता ही एक मात्र उपाय है। एनआईटीटीटीआर के निदेशक प्रो. विकास अग्रवाल ने कहा कि हमें स्वयं सचेत होना होगा अन्यथा हम भयंकर आपदा से बच नहीं सकते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here